नई दिल्ली : देश भर में पुलिसकर्मियों की भारी कमी पर
सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है. दरअसल कोर्ट देश भर की पुलिस के लिए कल्याणकारी योजनाओं के लिए दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट नेपुलिस की भर्ती पर राज्यों के उदासीन रवैए पर कड़ी नाराजगी जताई है. मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी.
मामले पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा कि कानून व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए पुलिस के सभी पदों पर नियुक्तियां बेहद जरूरी हैं. जस्टिस खेहर ने कहा कि सभी राज्यों के होम सेकेट्री तीन हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताएं कि पुलिसकर्मियों की नियुक्ति के लिए वो क्या कर रहे हैं? कितने पद खाली हैं? साथ ही केंद्र सरकार एक हफ्ते के भीतर सभी राज्य सरकारों को कोर्ट का ये आदेश भेजें.
मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दी चेतावनी कि जो राज्य हलफनामा दाखिल नहीं करेंगे उनके होम सेकेट्री कोर्ट में तलब किए जाएंगे. जस्टिस खेहर ने कहा कि 2015 का रिकार्ड बताता है कि देश में 4 लाख 33 हजार पुलिसकर्मियो की कमी है.
छत्तीसगढ़ का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि 2014 में छतीसगढ का कहना था कि उनके यहां 3800 पद खाली हैं और अब सरकार बता रही है कि 10000 पुलिसकर्मियों की नियुक्ति होनी है. ऐसे में अब सब राज्य कोर्ट को बताएं कि उनके यहां कितने पद खाली हैं और क्या हो रहा है.
बता दें कि एक कोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कहा गया है कि सभी सरकारी विभागों के लिए कमिशन बनाए गए हैं और सुविधाएं दी जा रही हैं लेकिन पुलिस को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. देश में करीब 50 फीसदी पुलिसकर्मियों की कमी है और पुलिसवालों के लिए आवास और अन्य सुविधाएं भी नहीं हैं. इसकी वजह से कानून व्यवस्था को बनाए रखने में दिक्कत हो रही है.