नई दिल्ली : आम तौर पर जब भी किसी विषय पर धरना प्रदर्शन या विरोध मार्च की बात आती है तो
आरएसएस के आनुषांगिक संगठन ही मोर्चा खोलते आए हैं. अलग-अलग संगठन अलग-अलग मुद्दों पर विरोध करते हैं, ऐसा बहुत कम हुआ है कि सारे एक साथ विरोध में आए हों.
आरएसएस कोर संगठन के तौर पर समन्वयकर्ता और निरीक्षक की हैसियत से काम करता है लेकिन अब चूंकि खुद आरएसएस देश की राजधानी
दिल्ली में खुद एक विरोध प्रदर्शन करने जा रहा है तो इसका मतलब उनके लिए मसला गंभीर है. ये विरोध प्रदर्शन 24
जनवरी यानी कल होगा और आरएसएस की टॉप लीडरशिप में शामिल संघ के सह सरकार्यवाहक दत्तात्रेय हॉसबोले खुद इसकी अगुवाई करेंगे. केरला हाउस से जंतर-मंतर तक ये धरना प्रदर्शन होगा.
ये धरना प्रदर्शन 24 जनवरी की सुबह केरला हाउस पर होगा, चूंकि संघ ने खुद ये धरना आयोजित किया है, इसलिए माना जा रहा है कि संघ से जुड़े तमाम संगठनों के हजारों कार्यकर्ता इसमें हिस्सा ले सकते हैं. केरला हाउस पर ही धरना प्रदर्शन रखने की वजह भी है, संघ की नाराजगी केरल को लेकर ही है.
संघ का आरोप है कि केरल में एक के बाद एक संघ कार्यकर्ता पर कम्युनिस्ट योजनाबद्ध तरीके से हमला कर रहे हैं, कई कार्यकर्ताओं की हत्या भी हो चुकी है. संघ से जुड़े हिंदूवादी संगठनों का वहां मनोबल लगातार गिर रहा है और उसकी एक और वजह ये है कि संघ के मुताबिक वहां की वामपंथी सरकार हमलावरों को संरक्षण दे रही है.
हालांकि, संघ के नेता इसे केन्द्रीय गृह मंत्रालय के सामने भी रख चुके हैं, लेकिन फिर भी संघी कार्यकर्ताओं पर हमले और हत्या में कोई कमी नहीं आई है. संघ का ये भी मानना है कि नेशनल मीडिया में ये मुद्दे ठीक ढंग से उठाए नहीं जा रहे हैं, इसलिए वामपंथी पार्टियों और सरकार पर दवाब भी नहीं बन पा रहा है. इसलिए ये धरना राजधानी दिल्ली में करने का फैसला लिया गया और काफी सोच समझकर संघ ने किसी सहयोगी संगठन की बजाय खुद इसकी अगुवाई संभाली और अपने टॉप के नेताओं में से एक दत्तात्रेय हॉसबोले को इसकी जिम्मेदारी दी.