जयपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने
जयपुर लिटरेचर
फेस्टिवल में
आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि आरक्षण को खत्म कर देना चाहिए. अगर आरक्षण लंबे समय तक रहता है, तो इससे अलगाववाद को बढ़ावा मिलता है.
हालांकि, बाद में वैद्य अपने बयान से पलट गए. वैद्य ने कहा कि उन्होंने धार्मिक आधार पर आरक्षण को लेकर कहा था कि उसकी कोई ऐतिहासिक पृष्ठभूमि नहीं है. इसके बजाए शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए. बता दें कि वैद्य ने आरक्षण को खत्म करने की बात एक सवाल के जवाब में कही थी. यहां हम बता रहे हैं कि फेस्टिवल के दौरान मनमोहन वैद्य से क्या सवाल किया गया था और उनका क्या जवाब था.
सवाल : आपने सबको समान अवसर देने की बात कही… और मेरी आरएसएस के साथ बातचीत से ऐसा लगता है वो भी जातिगत आरक्षण के समर्थन में है… आज के परिदृश्य में
मुस्लिमों को आरक्षण देना क्या एक उपाय है?… क्या आपको लगता है आपने कहा कि समान अधिकार और अवसर लोगों को मिलना चाहिए, सच्चर कमेटी की जो रिपोर्ट आई है… अल्पसंख्यकों की जो आर्थिक स्थिति है… वो खराब रही है… कई राज्यों में… कई अल्पसंख्यकों को आरक्षण देना एक उपाय है उनकी आर्थिक सिथति सुधारने के लिए…
जवाब : आरक्षण का विषय भारत में एक एससी, एसटी के लिए अलग संदर्भ में आया है… हमारे समाज के बंधुओं को हमने सैकड़ों साल तक सम्मान से सुविधाओं से शिक्षा से वंचित रखा है… ये एकदम गलत हुआ है… उसका परिभाजन करने की जिम्मेदारी हमारी है… एक विशेष जाति में पैदा होने के कारण उनको उससे दूर रखा गया… ये ठीक नहीं है… इसलिए उनको साथ लाने के लिए आरक्षण का प्रावधान संविधान में आरंभ से किया गया है… डॉक्टर अंबेडकर ने कहा है… किसी भी राष्ट्र में हमेशा के लिए ऐसा आरक्षण का प्रावधान रहना ये अच्छा नहीं है… जल्द से जल्द इसकी आवश्यकता निरस्त होकर आपको समान अवसर देने का समय आना चाहिए… ये भी अंबेडकर ने कहा है… ये आरक्षण की सेवा है… बाकि अन्य आरक्षण के बदले में… सबको अवसर अधिक दिए जाएं… शिक्षा अधिक दी जाए इसका प्रयत्न करना चाहिए… इसके आगे आरक्षण देना थोड़ा अलगाववाद बढ़ाने वाली बात है… ऐसा लगता है… तो एससी, एसटी का पिछड़ा रहना कई वर्षों से किया हुआ अन्याय है… इसलिए उसका उपाय अन्य तरह से ढूंढना अधिक अच्छा रहेगा.