नई दिल्ली: संघ कई मुद्दों को लेकर अपने रूख में परिवर्तन ला रहा है या लोगों का रुख संघ के लिए बदल रहा है. बाते कोई भी हो लेकिन संघ को लेकर कुछ तो नया हो रहा है. खासकर किताबों और फिल्मों की दुनियां में संघ की पैठ और दिलचस्पी बढ़ी है.
20 जनवरी को फिर एक बड़ा बदलाव देश को देखने को मिलेगा, जब संघ की कोर टीम के दो दिग्गज सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय हॉसबोले और अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य जयपुर लिटरेचर फेस्टीवल में हिस्सा होंगे. उनका सैशल शाम को सवा पांच बजे से है. हालांकि विरोध भी शुरू हो गया है.
जैसे संघ के अधिकारियों को लिटरेचर फेस्टिवल का न्यौता मिलने की खबर आई, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो सदस्य एमए बेबी ने विरोध जताते हुए फेस्टिवल का बहिष्कार कर दिया. हालांकि बड़े लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी का नाम भी लिस्ट में है.
फेस्टिवल की लिस्ट में हमेशा की तरह इस बार भी कई वामपंथी विचारधारा से जुड़े विद्वानों, लेखकों का नाम है. हालांकि आयोजक यही कह रहे हैं कि हमारे मंच पर सभी विचारधाराओं के लोगों का स्वागत है.
हालांकि चर्चा ये भी है कि अवॉर्ड वापसी कैम्पेन से जुड़े कुछ लेखकों को इस बार जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में न्यौता नहीं भेजा गया है, जिनमें उदय प्रकाश, अशोक कुमार बाजपेयी और के सच्चिदानंदन शामिल हैं, जो कि जयपुर फेस्टिवल में कई बार गए हैं. वहीं पिछली साल अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वाले अम्बिका दत्त को जयपुर फेस्टिवल में बुलाया गया है.
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल यूं तो हर साल किसी ना किसी बात को लेकर विवादों में रहता है और संघ से जुड़े लोगों पर पहले भी कोई बैन नहीं था.
मुरली मनोहर जोशी और तरुण विजय जैसे लोग वहां जाते रहे हैं, लेकिन ये पहली बार होगा कि सीधे संघ से कोई पदाधिकारी वहां जाए और वो भी कोर टीम से. ऐसे में कल वहां क्या होगा, किस मुद्दे पर हौसबोले और वैद्य अपनी बात रखेंगे और क्या बोलेंगे, ये जानने की उत्सुकता उनके विरोधियों को भी होगी.