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बच्चों को पढ़ाने के नाम पर कब तक लुटे आम आदमी ?

जवाब तो देना होगा में आज सवाल फ़ीस की उस टीस का जो हर मां-बाप महसूस करता है. आज स्कूल की फ़ीस का आलम ये है कि लोग बच्चा प्लैन करने से पहले ये प्लैन करते हैं कि बच्चे को पढ़ा पाने की माली हालत है भी या नहीं.

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  • January 17, 2017 3:43 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: जवाब तो देना होगा में आज सवाल फ़ीस की उस टीस का जो हर मां-बाप महसूस करता है. आज स्कूल की फ़ीस का आलम ये है कि लोग बच्चा प्लैन करने से पहले ये प्लैन करते हैं कि बच्चे को पढ़ा पाने की माली हालत है भी या नहीं.
 
देश भर में ज्यादातर स्कूल मां-बाप से मोटी फ़ीस वसूलते हैं. स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई से लेकर एक्सट्रा करिकुलर एक्टिविटी की हर सुविधा देने की सहूलियत भी होती है लेकिन फिर भी सवाल उस मोटी फीस को लेकर उठता ही है जिसे देने में मां-बाप को नानी याद आ जाती है.
 
दिल्ली में तो आलम ये है कि डीडीए की ज़मीन पर बने करीब 130 पब्लिक स्कूल ऐसे हैं जो फ़ीस बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. कैचन्यूज़ डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से ज्यादातर स्कूल कमाई के मामले में सरप्लस में हैं फिर भी फीस घटाने की बजाए फीस बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. ऐसे में सवाल ये कि आखिर फीस बढाने की मांग क्यों ?
 
(वीडियो में देखें पूरा शो)

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