नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने 24 हफ्ते की एक प्रेग्नेंट महिलाओं को गर्भपात की इजाजत दे दी है. मेडिकल रिपोर्ट से पता चला था कि बच्चे का सिर पूरी तरह डेवलप नहीं हो पा रही है. जिसके कारण महिला को गर्भपात की इजाजत मिली है. कोर्ट ने मामले में इजाजत देते हुए कहा कि मेडिकल बोर्ड के 7 एक्सपर्ट की राय हैं कि गर्भ में पल रहे भ्रूण में विकृतियां हैं, उसकी सिर की हड्डी विकसित नही है, जिसके कारण गर्भपात की इजाजत दी जाती है.
23 साल की मुंबई की विवाहित महिला ने
गर्भपात के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. महिला ने अपनी याचिका में कहा था कि उसे दिसंबर में तब भ्रूण के अंदर विकृति का पता चला, जब गर्भ 21 हफ्ते और दो दिन का था. 20 दिसम्बर को मुम्बई के उसके डाक्टरों ने उसके अनुरोध पर गर्भपात करने से मना कर दिया क्योंकि भ्रूण 20 हफ्ते की समयसीमा को पूरा कर चुका था. संविधान के आर्टिकल 14 के तहत समानता और आर्टिकल 21 के तहत जीने के अधिकार का हनन हैं. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने एक्सपर्ट और सरकार की राय मांगी थी.
बता दें कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट में प्रावधान है कि 20 हफ्ते के बाद गर्भपात नहीं किया जा सकता. इसके तहत सात साल तक की सजा का प्रावधान है. हालांकि इसके तहत ये छूट भी है कि अगर मां या बच्चे को खतरा हो तो गर्भपात किया जा सकता है. इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे कई मामलों में गर्भपात की इजाजत दी है.