नई दिल्ली: देश से हर साल हजारो लोग हज यात्रा पर जाते हैं. हर साल की तरह इस साल भी हज यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है. रजिस्ट्रेशन शुरु होने के साथ ही केंद्र सरकार ने हज यात्रा पर दी जाने वाली सब्सिडी की समीक्षा करने के लिए एक कमेटी बना दी है.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट 2012 में ही कह चुका है कि अगले 10 साल यानी 2022 तक हज सब्सिडी पूरी तरह खत्म की जाए. सुप्रीम कोर्ट के तय टाइम लाइन में से आधा वक्त बीत चुका है लेकिन मामला चूंकि मजहब से जुड़ा है, इसलिए सरकार ने हज सब्सिडी खत्म करने के लिए कुछ खास नहीं किया.
सरकार की तरफ से सब्सिडी उन लोगों को दी जाती है जिनकी आर्थिक हालत ठीक नहीं है. सब्सिडी भी लोगों को रोटी, कपड़ा, मकान, दवाई, पढ़ाई जैसी बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने के लिए दी जाती है. फिर हज यात्रा पर सब्सिडी क्यों? ये सवाल देश की राजनीति में कई साल से गूंज रहा है. अब हज सब्सिडी का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है.
केंद्र सरकार ने अफजल अमानुल्लाह की अगुवाई में हज सब्सिडी की समीक्षा करने के लिए 6 सदस्यों की कमेटी बनाई है. ये कमेटी पता लगाएगी कि क्या हज यात्रा पर दी जाने वाली सब्सिडी व्यावहारिक और असरदार है. माना यही जा रहा है कि इस कमेटी की रिपोर्ट के बाद हज यात्रा पर सब्सिडी खत्म करने का रास्ता खुल जाएगा.
ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या धर्म निरपेक्ष भारत में हज यात्रा पर सब्सिडी असंवैधानिक है? हज सब्सिडी खत्म करने में दिक्कत क्या है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए वीडियो में देखें पूरा शो-