नई दिल्ली: पंजाब सहित पूरे उत्तर भारत में लोहड़ी का त्योहार मनाया जा रहा है. शाम ढलते ही लोग आग जलाकर उसके आस-पास नाच-गा कर लोहड़ी का त्योहार मना रहे हैं. लोहड़ी के दिन से माघ का महीना शुरु हो जाता है और ऐसा कहा जाता है कि लोहड़ी की रात सबसे सर्द रात होती है. प्यार और अपनेपन का त्योहार हर साल मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है.
लोहड़ी का त्योहार मुख्य रुप से पंजाब में मनाया जाता है और इसी देश के अलग-अलग हिस्सों में कई नामों से जाना जाता है. इस त्योहार के दिन खुले स्थान पर परिवार और आस-पड़ोस के लोग मिलकर आग के किनारे घेरा बनाकर बैठते है. इसके साथ ही रेवड़ी, मूंगफली, लावा को उसमें डालते हैं इसके बाद ढोल पर जमकर डांस करते है और एक दूसरे को बधाइयां देते है.
लोहड़ी के मौके पर ये लाइनें गाई जाती हैं.
सुन्दर मुंदरिए
तेरा कौन विचारा
दुल्ला भट्टीवाला
दुल्ले दी धी व्याही
सेर शक्कर पायी
कुड़ी दा लाल पताका
कुड़ी दा सालू पाटा
सालू कौन समेटे
मामे चूरी कुट्टी
जिमींदारां लुट्टी
जमींदार सुधाए
गिन गिन पोले लाए
इक पोला घट गया
ज़मींदार वोहटी ले के नस गया
इक पोला होर आया
ज़मींदार वोहटी ले के दौड़ आया
सिपाही फेर के ले गया
सिपाही नूं मारी इट्ट
भावें रो ते भावें पिट्ट
साहनूं दे लोहड़ी
तेरी जीवे जोड़ी
साहनूं दे दाणे तेरे जीण न्याणे
सेना के जवान भी बार्डर पर नाच-गा कर लोहड़ी मना रहे हैं.