नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने कहा फांसी के मामले में
राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका ठुकराने के बाद देरी के आधार पर दाखिल की गई याचिका की सुनवाई दिल्ली हाई कोर्ट कर सकता है या नहीं वो भी तब जब मामला किसी दूसरे राज्य का हो ये हम तय करेंगे लेकिन जब ऐसा ही मामला दुबारा हमारे सामने आएगा.
कोर्ट ने
छत्तीसगढ़ की याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि इस मामले में हमने पहले ही आदेश दे दिए है कि सोनू सरदार की याचिका का निपटारा दिल्ली हाई कोर्ट 2 महीने के भीतर करे। ऐसे में अगर इसी तरह का कोई दूसरा मामला हमारे सामने आता है तो हम उसे देखेंगे और उस मामले में अटॉर्नी जरनल मुकुल रोहतगी को एमिकस बनाएंगे.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने
दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश पर सवाल उठाया था जिसमें हाई कोर्ट ने कहा था कि छत्तीसगढ़ के सोनू सरदार के फांसी के मामले की सुनवाई कर सकती है.
कोर्ट ने कहा था कि मामला छत्तीसगढ़ का है ऐसे में दिल्ली हाई कोर्ट इस पर कैसे सुनवाई कर सकता है. सोनू सरदार की तरफ से जब ये कहा गया कि राष्ट्रपति ने उनकी दया याचिका को ख़ारिज किया है ऐसे में हाई कोर्ट ने पास ये अधिकार है कि वो मामले की सुनवाई कर सकता है.
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उत्तर प्रदेश, बंगाल और दूसरे राज्यो के दोषियों की याचिका अगर राष्ट्रपति ठुकरा देते है तो क्या सभी मामलों की सुनवाई दिल्ली हाई कोर्ट करेगी. ऐसे में तो देश के सभी हाई कोर्ट के पास कोई याचिका ही नहीं आएगी. सब मामलों को दिल्ली हाई कोर्ट ही सुनेगा.
कोर्ट ने AG मुकुल रोहतगी को कहा कि वो इस मामले में कोर्ट को असिस्ट करे और बताये की क्या राष्ट्रपति अगर किसी दया याचिका को ख़ारिज करते है तो हाई कोर्ट के पास ये अधिकार है कि वो इस मामले की सुनवाई कर सकता है या नही.
वही कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनोती दे जिसमें हाई कोर्ट ने कहा था कि छत्तीसगढ़ के सोनू सरदार के फांसी के मामले की सुनवाई कर सकती है.
हालांकि कोर्ट ने गुरुवार को ही आदेश दे दिया था कि हाई कोर्ट सोनू सरदार की याचिका का निपटारा 2 महीने के भीतर करे