नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट को आदेश देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के सोनू सरदार की याचिका का निपटारा 2 महीने के भीतर किया जाए. दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ही करे.
इससे पहले हुई सुनवाई में जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था कि छत्तीसगढ़ का मामला होने के कारण दिल्ली हाई कोर्ट में इसकी सुनवाई नहीं हो सकती. वहीं
सोनू सरदार के वकील की ओर से कहा गया था कि राष्ट्रपति ने दया याचिका ठुकरा दी है तो ऐसे में हाई कोर्ट के पास ये अधिकार है कि वो मामले की सुनवाई कर सकता है.
इस पर जस्टिस दीपक मिश्रा ने पलटवार करते हुए कहा कि यदि कल को यूपी, बंगाल और दूसरे राज्यों के दोषियों की याचिका अगर राष्ट्रपति ठुकरा देते हैं तो क्या सभी मामलों की सुनवाई
दिल्ली हाई कोर्ट ही करेगी. फिर तो देश के किसी भी हाई कोर्ट में कोई याचिका जाएगी ही नहीं.
कोर्ट ने AG मुकुल रोहतगी को कहा कि वो इस मामले में कोर्ट को असिस्ट करें और बतायें कि क्या राष्ट्रपति अगर किसी दया याचिका को ख़ारिज करते हैं तो हाई कोर्ट के पास ये अधिकार है कि ओ इस मामले की सुनवाई कर सकता है या नहीं.
वहीं कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को कहा कि वो
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनोती दे जिसमें हाई कोर्ट ने कहा था कि छत्तीसगढ़ के सोनू सरदार के फांसी के मामले की सुनवाई कर सकती है.
क्या था मामला ?
मामला एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या का था. छतीसगढ़ के बैकुंठपुर में 26 नवंबर 2004 को कबाड़ कारोबारी शमीम अख्तर, शमीम की पत्नी रुख्साना, बेटी रानो, बेटे याकूब और उसके पांच महीने की बेटी की
हत्या कर दी गई थी. इस मामले में सोनू सरदार सहित 5 लोगों पर हत्या का आरोप लगा था.
ट्रायल कोर्ट ने 2008 में सभी आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी.
छतीसगढ़ हाईकोर्ट ने 2010 में फांसी की सजा को बरकरार रखा था. 23 फरवरी 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने चार की मौत की सजा आजीवन कारावास में बदल दी थी लेकिन सोनू सरदार की
फांसी की सजा को बरकरार रखा था.