नई दिल्ली: कहीं सर्दी ने 26 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया तो कहीं बर्फबारी से एवलांच का खतरा दिखने लगा. पहाड़ों पर बर्फीली हवा जिस्म में सुई की तरह चुभ रही है. घर में बर्फ, रास्ते पर बर्फ, संकट ये कि लोग जाएं तो जाएं कहां. ऊपर से इन्हें ना तो बिजली नसीब है ना तो पानी.
देखिए दिल्ली से 350 किलोमीटर दूर सफेद संकट. बर्फबारी से हिंदुस्तान के पहाड़ सफेद हो गए हैं. पेड़ कहां हैं और पहाड़ कहां फर्क कर पाना बेहद मुश्किल है. हर तरफ बर्फ की चादर बिछी है. घर-मकान, दुकान, सड़कें सब बर्फ से ढंक गए हैं.तीन दिनों की बर्फबारी से शिमला ने बर्फ की मोटी चादर ओढ़ ली है.
छत पर रखी पानी की टंकी भी बर्फ से ढंक गई है . लोग वाइपर और फावड़े से छत पर जमी बर्फ हटा रहे हैं. बिजली के खंभे और तारों पर बर्फ. नतीजा ये कि शहर की बिजली काट दी गई है. हिमाचल की राजधानी में जहां तक नजर दौड़ाएं बर्फ ही बर्फ दिखती है. सड़कों पर भी तीन फीट तक बर्फ है. गाड़ियां जहां तहां फंसी है. लोग किसी तरह इन रास्तों पर पैदल चल पा रहे हैं.
शिमला में टूटा 26 साल का रिकॉर्ड
शिमला में बर्फबारी का 26 साल का रिकॉर्ड टूट गया है. यहां 24 घंटे में 85 सेमी बर्फबारी हुई है, जो 1990 के बाद एक दिन में सबसे अधिक है. इतना ही नहीं 36 घंटे में 90 सेंटीमीटर यानी करीब 3 फीट बर्फबारी हो चुकी है. शिमला में सैकड़ों गाड़ियां फंसी हैं. बिजली नहीं होने से पानी की सप्लाई ठप है. कड़ाके की ठंड में लोग हीटर भी नहीं चला पा रहे हैं . मोबाइल फोन भी चार्ज नहीं कर पा रहे हैं .शहर में दूध और सब्जी का भी संकट पैदा हो गया है.
हिमाचल में कहां-कितनी बर्फबारी ?
रोहतांग दर्रा के आसपास 60 सेंटीमीटर, फागू और नारकंडा में 45-50 सेंटीमीटर कुफरी, नालदेहरा में सड़कों पर चार फुट बर्फ जमी हुई है. जहां हजारों सैलानी फंसे हैं. रास्तों को खोलने के लिए करीब 200 जेसीबी मशीनें, 20 डोजर और 10 फ्रंट लोडर लगाए हैं. हिमाचल के मनाली में भी पहाड़ों से लेकर सड़कों तक बर्फ की सफेद चादर बिछी है.