केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी को अब अदालत के चक्कर काटने पड़ सकते हैं. दिल्ली की एक अदालत ने उनकी डिग्री को चुनौती देने वाली याचिका को सुनवाई लायक मान लिया है. इस कार्रवाई के बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस स्मृति ईरानी के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है. विपक्ष लगातार ईरानी के इस्तीफे की मांग पर अड़ा है. आम आदमी पार्टी के यूथ कार्यकर्ता और कांग्रेस की महिला विंग ईरानी के आवास पर प्रदर्शन के लिए जुट गया है.
नई दिल्ली. केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी को अब अदालत के चक्कर काटने पड़ सकते हैं. दिल्ली की एक अदालत ने उनकी डिग्री को चुनौती देने वाली याचिका को सुनवाई लायक मान लिया है. इस कार्रवाई के बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस स्मृति ईरानी के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है. विपक्ष लगातार ईरानी के इस्तीफे की मांग पर अड़ा है. आम आदमी पार्टी के यूथ कार्यकर्ता और कांग्रेस की महिला विंग ईरानी के आवास पर प्रदर्शन के लिए जुट गया है.
अदालत अब डिग्री विवाद से जुड़े सबूतों को परखेगी और अगर उसे लगा कि सबूत मुकदमा चलाने लायक हैं तो मोदी कैबिनेट की मंत्री स्मृति पर मुकदमा भी चल सकता है.
क्यों है विवाद
आखिर इस विवाद में कैसे आ गया स्मृति ईरानी का नाम. इसकी वजह हैं बीते तीन चुनाव जो स्मृति ईरानी ने अपने राजनीतिक जीवन में लड़े. हर चुनाव में कैंडीडेट हलफनामा देता है जिसमें उसे अपनी पढ़ाई के बारे में भी बताना होता है. स्मृति ने भी तीन बार हलफनामे दिए और आरोप लगा की हर बार उनकी पढ़ाई के कॉलम में दी गई जानकारी बदलती रही.
चुनाव आयोग में स्मृति ईरानी ने जो हलफनामा दिया था उसको लेकर विरोधाभास है . 2004 के चुनाव के दौरान दिए हलफनामे के मुताबिक 1993 में बारहवीं करने के बाद स्मृति ईरानी ने 1996 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से कॉरेसपॉन्डेंस में बीए किया . जबकि 2011 में राज्यसभा चुनाव में दिए हलफनामे के मुताबिक दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ कॉरेसपॉन्डेंस से 1994 में बी कॉम पार्ट 1 बताया गया और 2014 के लोकसभा चुनाव में दिए हलफनामे में स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग कॉरेसपॉन्डेंस से 1994 में बी कॉम फर्स्ट ईयर बताया है.
साल 2011 और साल 2014 का हलफनामें से पता चलेगा कि शिकायतकर्ता के आरोपों की वजह क्या है. लेकिन स्मृति ईरानी के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि 2011 और 2014 का हलफनामा एक ही है इसलिए डिग्री का विवाद ही गलत है.
एजेंसी इनपुट भी