नई दिल्ली : नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (
एनसीआरबी) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है. आंकड़ों के अनुसार साहूकारों के सूद से ज्यादा मौतें बैंक के लोन के कारण हुई हैं. 2014 से 2015 के दौरान देश में
किसानों की आत्महत्या करने के मामलों में 42 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. इनमे सबसे ज्यादा आत्महत्या करने वाले किसान महाराष्ट्र के थे.
पहली बार एनसीआरबी ने किसानों की आत्महत्या की अलग कैटेगरी बनार्इ है क्योंकि
बैंकों की कर्ज ने बड़ी संख्या में किसानों को आत्महत्या के लिए मजबूर किया. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2015 में पंजीकृत सूक्ष्म वित्त संस्थानों व बैंकों से लिए गए कर्ज को न चुका पाने के कारण 80 फीसद किसानों ने अपनी जान दे दी. एनसीआरबी के आकड़े के मुताबिक कर्ज न चुका पाने के कारण खुदकुशी करने वालों किसानों में से 80 फीसदी ने बैंकों से कर्ज लिया था, न कि साहूकार या महाजन से. एनसीआरबी ने बताया कि 2015 में जिन 3000 किसानों ने आत्महत्या कि उनमें से 2,474 किसानों ने बैंको से कर्जा लिया था.
कृषि संबंधित मामले जैसे फसलों की उपज में कमी से भी महाराष्ट्र में 769, तेलंगाना में 363, आंध्र प्रदेश में 153, कर्नाटक में 122 किसानों ने आत्महत्या की. इसके अलावा एनसीआरबी के अनुसार किसानों की आत्महत्या के लिए पारिवारिक मुश्किलें (933), बीमारी (842) भी आत्महत्या के कारण बने. एनसीआरबी के आंकड़ों से जिस समयावधि में किसानों द्वारा आत्महत्या के मामलों में तेजी देखी गयी है, वहीं कृषि के क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की आत्महत्या के मामलों में 31.5% की गिरावट दर्ज की गई.