नई दिल्ली: 16 दिसम्बर 2012 को दिल्ली में इंसानियत तार-तार हुई थी. चार साल गुजर जाने के बाद भी रोज कोर्ट और पुलिस स्टेशन के बीच इंसानियत तार-तार हो रही है.
दरअसल हम बात कर रहे है, राजकुमार सिंह
निर्भया गैंगरेप केस के
गवाह है. राजकुमार आज भी उस रात को नहीं भूल पाते है. उन्होंने ने ही सबसे पहले पुलिस को घटना की सुचना दी थी.
1999 में करगिल की जंग लड़ चुके राजकुमार हादसे के वक़्त एक कम्पनी में पैट्रोलिंग कंसेसियनार के तौर पर काम करते थे. पर हादसे के बाद शुरू हुई कानूनी कारवाई में
कोर्ट और
पुलिस स्टेशन का चक्कर लगाते-लगाते उनको नौकरी छोड़नी पड़ी.
दिल्ली की पालम कालोनी में रहने वाले राजकुमार बताते है कि उन्हें कोर्ट की कारवाई की वजह से बार-बार
नौकरी से छुट्टी लेनी पड़ती है. जिसकी वजह से उनकी सैलरी भी काट जाती है.
उन्होंने बताया कि उस वक़्त दिल्ली की मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित ने उसे नौकरी देने की बात कही थी पर कुछ भी नहीं हुआ. राजकुमार फिलहाल दिल्ली एयरपोर्ट कार्गो अथॉरिटी में 14000 रुपए मासिक की नौकरी करने को मजबूर है.