नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड की अनिवार्यता के ख़िलाफ़ दाखिल याचिका पर जल्द सुनवाई से इंकार कर दिया है. गुरुवार को याचिकाकर्ता ने
सुप्रीम कोर्ट ने मांग की थी संवैधानिक पीठ के सामने लंबित याचिका पर जल्द सुनवाई की जाये. याचिकाकर्ता ने याचिका में जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कहा था कि आधार कार्ड के जरिये सरकार लोगों की गतिविधियों पर नजर रख रही है जोकि निजता यानि राईट टू प्राइवेसी का उल्लंघन है.
बता दें कि इससे पहले आधार कार्ड के मामले में सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को बड़ी राहत मिली थी. संवैधानिक पीठ ने आधार कार्ड को स्वैच्छिक रूप से मनरेगा, पीएफ, पेंशन और जनधन योजना के साथ लिंक करने की इजाजत दे दी थी, लेकिन पीठ ने साफ किया था कि इसे अनिवार्य नहीं किया जाएगा.
दरअसल, 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में आधार की अनिवार्यता प्रतिबंधित करने से हो रही परेशानी को लेकर आरबीआई, सेबी और गुजरात सरकार ने गुहार लगाई थी, लेकिन तीन जजों की बेंच ने राहत न देते हुए मामले को संवैधानिक पीठ के समक्ष भेज दिया था.
इससे पहले
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने आदेश में कहा था कि केवल एलपीजी, केरोसिन और पीडीएस के लिए ही आधार कार्ड का इस्तेमाल हो सकता है. सरकार ने कोर्ट में कहा था कि आधार के जरिये सरकार देश के छह लाख गांवों में घर-घर पहुंची है. सरकार ने कहा कि लोगों को मनरेगा के लिए घर तक बैंक पैसा पहुंचा रहे हैं.
प्रधानमंत्री की जनधन योजना की सफलता में आधार की भूमिका रही है. आधार की वजह से सरकार के एलपीजी सब्सिडी में एक साल में 15 से 20 हजार करोड़ बचाए गए. बूढ़े और लाचारों तक घर पर ही पेंशन पहुंच रही है. वहीं इस मामले में आरबीआई ने कहा था कि एलपीजी, केरोसिन और पीडीएस में आधार को लिंक करने के कोर्ट ने आदेश दिए थे. ऐसे में क्या कोई अपनी मर्जी से आधार कार्ड के जरिए एकाउंट खोलना चाहता है, तो क्या करे. खास कर तब जब उसके पास आधार के अलावा कोई और दूसरा पहचान पत्र न हो.