नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में आज UPA सरकार के समय एयर इंडिया के लिए 111 विमान खरीदने के मामले पर सुनवाई हुई.
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि याचिका में लगाए गए आरोपों की भी जांच करे. कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि सीबीआई की जांच में दखल नहीं देंगे और जांच एजेंसियों पर भरोसा करना चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि सीबीआई जांच पूरी कर चार्जशीट या क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करे तो कोई भी पक्ष कोर्ट कोर्ट आ सकता है. बता दें कि इस मामले में पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल पर गंभीर आरोप लगे हैं.
मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश AG मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में तीन एजेंसियों की जांच चल रही है. PAC, CAG और
सीबीआई मामले की जांच कर रही हैं. यहां तक कि सीबीआई मामले से जुडे 55 गवाहों के बयान ले चुकी है. संसद की PAC और CAG दोनों संसद के प्रति जवाबदेह हैं. ऐेसे में सुप्रीम कोर्ट को मामले में कोई आदेश नहीं देना चाहिए. इस मामले की जांच जून 2017 तक जांच पूरी हो जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने विमानों की ‘अनावश्यक खरीद’ पर एयर इंडिया, केंद्र सरकार, केंद्रीय जांच ब्यूरो (
सीबीआई) तथा केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को नोटिस भेजा था. ये नोटिस एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किए गए थे जिसमें कहा गया है कि एयर इंडिया ने अनावश्यक रूप से 111 विमान खरीदे, जिससे सरकारी खजाने को 67,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ और राष्ट्रीय विमानन कम्पनी घाटे में चली गई.
सुप्रीम कोर्ट ने सेंटर फॉर पब्लिक इंटेरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की याचिका पर सुनवाई के बाद ये नोटिस जारी किए थे. याचिका में विमानों की खरीद तथा सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने वाले अन्य निर्णयों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने का अनुरोध किया गया है. इसमें कहा गया है कि ये निर्णय वर्ष 2004 से 2008 के बीच लिए गए थे, जब प्रफुल्ल पटेल केंद्र में नागरिक उड्डयन मंत्री थे.
सीपीआईएल ने विमानों को लीज पर लेने के मामले की जांच कराने का भी अनुरोध किया, जिसके कारण हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. सीपीआईएल ने राष्ट्रीय विमान सेवा कम्पनी पर निजी विमानन कम्पनियों को लाभ पहुंचाने के लिए उड़ान का लाभदायक मार्ग तथा समय छोड़ने का आरोप लगाते हुए इसकी भी जांच कराने की मांग की.
याचिका में कहा गया है कि उस वक्त एयर इंडिया का मुनाफा 100 करोड़ रुपये का था, लेकिन इसकी क्षमता यहां तक कि कुछ विमान खरीदने की भी नहीं थी. लेकिन इसने 111 विमानों की खरीदी की, जिससे राष्ट्रीय विमानन कम्पनी घाटे में चली गई और यह घाटा बढ़ता ही गया. याचिका के अनुसार, इन फैसलों से किसी को फायदा हुआ है तो सिर्फ विदेशी विमान निर्माताओं और निजी व विदेशी विमानन कम्पनियों को.