नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में आज नाबालिग विवाहित युवतियों से शारीरिक संबंध मामले में सुनवाई हुई. ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ एनजीओ की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता को आदेश दिया है कि उसकी जो भी मांगें हैं उनका एक ज्ञापन बनाकर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को भेजे. अगर उसके बावजूद भी याचिकाकर्ता मंत्रालय की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं होता है तो वह दोबारा से 4 महीने के बाद कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है.
बता दें कि नाबालिग विवाहिताओं से शारीरिक संबंध को लेकर देश में दो अलग-अलग कानून है. इसी वजह एनजीओ ने एक अलग कानून बनाने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी. बचपन बचाओ आंदोलन ने याचिका दायर कर कहा था कि पॉक्सो एक्ट के तहत नाबालिग युवती से उसकी मर्जी से सम्बन्ध बनाना भी बाल यौन शोषण कहलाता है.
वही भारतीय दंड संहिता यानि IPC के अनुसार घरेलू हिंसा अधिनियम में ये प्रावधान है कि अगर किसी की पत्नी 15 साल से ज्यादा उम्र की है तो उससे शारीरिक संबंध बनाना रेप के अपराध की श्रेणी में नहीं आयेगा. ऐसे में दोनों कानून एक दूसरे के विरोधाभासी हैं. कोर्ट को इस पर विचार कर उचित आदेश देने चाहिए.