नई दिल्ली : पांच राज्यों में चुनाव से ठीक तीन दिन पहले आम
बजट के ऐलान पर विपक्ष खासा नाराज हो गया है और इसका विरोध कर रहा है. आज कांग्रेस समेत कुल 11 विपक्षी दल बजट की तारीख को आगे बढ़ाने की अपील करने चुनाव आयोग पहुंचे थे.
4 फरवरी से
पांच राज्यों में चुनाव होगा और 1 फरवरी को बजट का ऐलान होने वाला है, जिस पर कांग्रेस समेत टीएमसी, बीएसपी, जेडीयू, सपा और आरजेडी के नेता चुनाव आयोग पहुंचे थे, वहां उन्होंने बजट के ऐलान की तारीख को आगे बढ़ाने की मांग रखी.
कांग्रेस नेता
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि बजट में लोकलुभावन घोषणाएं की जा सकती हैं जिससे चुनाव उचित और पारदर्शी ढंग से नहीं हो सकेंगे. उन्होंने कहा, ‘चुनाव पारदर्शी ढंग से हो सके इसलिए हमने चुनाव आयोग से मांग की है कि बजट चुनाव खत्म होने के बाद यानी 8 मार्च के बाद पेश किया जाए.’
नबी आजाद ने कहा कि सरकार 31 जनवरी से संसद का बजट सत्र बुला सकती है, इसमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन बजट का ऐलान चुनाव के बाद ही किया जाए, ताकि सरकार के पास मतदाताओं को लुभाने का कोई मौका न रहे.
विपक्ष का कहना है कि चुनाव से ठीक पहले बजट का ऐलान करने के साथ ही सत्ता पक्ष इसका फायदा चुनावों में ले सकता है. विपक्ष आयोग से मांग करेगा कि आदर्श आचार संहिता के दौरान बजट न पेश किया जाए. विपक्ष का कहना है कि साल 2014 में यूपी चुनाव के नतीजों की घोषणा के बाद ही बजट पेश किया गया था.
वहीं विपक्ष की मांग पर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि बजट के ऐलान की तारीख बदलने का कोई सवाल नहीं पैदा होता.
अरुण जेटली ने दिया जवाब
इस मुद्दे पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा है कि यह कोई हमेशा की प्रथा नहीं है, जिसका पालन किया जाए. उन्होंने कहा कि 2014 में भी आम चुनाव से कुछ दिन पहले ही अंतरिम बजट पेश किया गया था, यह एक संवैधानिक जरूरत है.