रोज वैली चिटफंड घोटाले पर क्यों मचा हड़कंप, ये है पूरी काली कहानी

रोजवैली चिटफंड घोटाले को लेकर आजकल हंगामा मचा हुआ है. तृणमूल कांग्रेस के दो नेता तपस पॉल और सुदीप बंदोपाध्याय की इस मामले में गिरफ्तारी हो चुकी है. वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसे बीजेपी की साजिश बताते हुए पीएम मोदी पर झूठे मामलों में फंसाने का आरोप लगा रही हैं.

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रोज वैली चिटफंड घोटाले पर क्यों मचा हड़कंप, ये है पूरी काली कहानी

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  • January 4, 2017 1:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
कोलकाता : रोजवैली चिटफंड घोटाले को लेकर आजकल हंगामा मचा हुआ है. तृणमूल कांग्रेस के दो नेता तपस पॉल और सुदीप बंदोपाध्याय की इस मामले में गिरफ्तारी हो चुकी है. वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसे बीजेपी की साजिश बताते हुए पीएम मोदी पर झूठे मामलों में फंसाने का आरोप लगा रही हैं.
 
लेकिन, रोजवैली घोटाले पर हड़कंप सिर्फ इसलिए नहीं क्योंकि इसमें कुछ बड़े नेताओं का नाम सामने आ रहा है बल्कि ये घोटाला इतना बड़ा है कि इसने कई दूसरे घोटालों को पीछे छोड़ दिया है. लोगों को बड़े-बड़े सपने दिखाकर चूना लगाने वाली इस समूह के पैर राजनीति, रियल एस्टेट, फिल्म और मीडिया तक पसरे हुए थे. 
 
रोजवैली घोटाले की पूरी कहानी 
बता दें कि पश्चिम बंगाल में जब अप्रैल 2013 में 2500 करोड़ का सारधा चिटफंड घोटाला सामने आया था तब इतनी बड़ी हेरी-फेरी ने सबको भौचक्का कर दिया था. इसके अलावा 3500 करोड़ रुपये के बेसिल इंटरनेशनल लिमिटेड चिटफंड घोटाले ने भी सबके होश उड़ा दिए थे. लेकिन, रोजवैली घोटाला कोई 5 या 10 हजार करोड़ का नहीं बल्कि 17,000 करोड़ रुपये का है. यह सारधा घोटाले से सात गुना ज्यादा है.  
 
कॉरपोरेट जगत से लेकर राजनेताओं की मिलीभगत से 10 राज्यों में चल रहे इस घोटाले ने लोगों को करोड़ों रुपयों का चूना लगा दिया है. सीबीआई की ओर से दाखिल की गई चार्जशीट में कहा गया था कि कंपनी ने निवेशकों के 17 हजार करोड़ रुपये डुबो दिए. रोज वैली कंपनी ओडिशा में सक्रिय थी और यहां के लोगों के 450 करोड़ रुपये डूब गए.
 
10 राज्यों तक फैला था साम्राज्य 
रोजवैली कंपनी पर आरोप है उसने सेबी की अनुमति के बिना 2011 से 2013 के बीच अवैध तरीके से लोगों से पैसा इकट्ठा किया. उसने लोगों को कहीं ज्यादा रिटर्न देने का वादा किया था. रोजवैली घोटाले के इतने व्यापक होने की एक और वजह भी है. रोजवैली ग्रुप के चैयरमैन गौतम कुंडु का करोबार बंगाल सहित कम से कम 10 राज्यों में फैला हुआ था. इस ग्रुप ने 90 के दशक में अंतिम ​वर्षों में होटल कारोबार से शुरुआत की थी. 
 
इसके बाद कंपनी ने रियल एस्टेट, फिल्म और मीडिया के क्षेत्रों में भी कदम रखा. साथ ही यह ग्रुप राज्य सरकार के स्वामित्व वाली एक बीमा कंपनी का कार्पोरेट एजेंट भी था. गौतम कुंडु ने लोगों के पैसों से धीरे-धीरे अपना साम्राज्य खड़ा कर दिया. 
 
तृणमूल कांग्रेस के नेताओं पर आरोप 
अब इस मामले में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के शामिल होने की बात सामने आई है. सांसद तपस पॉल पर आरोप है कि वह रोजवैली ग्रुप के प्रचार-प्रसार में शामिल थे. साथ ही उनके परिवार के सदस्य भी इसमें ऊंचे पदों पर हैं. वहीं, सांसद सुदीप बदोपाध्याय पर भी इस घोटाले में संलिप्त होने का आरोप है. सीबीआई की ओर से दाखिल आरोपपत्र में कंपनी के चेयरमैन गौतम कुंडू, प्रबंध निदेशक शिवमय दत्ता, निदेशक रामलाल गोस्वामी, प्रबंध निदेशक शिवमय दत्ता, निदेशक रामलाल गोस्वामी और अशोक कुमार साहा को प्रमुख आरोपी बताया है.

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