नई दिल्ली : संसद में मिलने वाले खाने पर अब सब्सिडी मिलनी बंद हो जाएगी. लोकसभा सचिवालय की ओर से इसकी जानकारी दी गई है.
लोकसभा सचिवालय के गुरुवार को दिए एक वक्तव्य में बताया गया है कि 1 जनवरी से संसद की कैंटीन ‘नो-प्रोफिट, नो-लॉस’ पर चलायी जाएगी. बता दें कि कैंटीन की कीमतें पिछली बार साल 2010 में बढ़ाई गई थीं.
संसद में सस्ती दरों पर मिल रहे खाने को लेकर कई बार आलोना होती रही है. मंहगाई के दौरान भी यह मसला उठा था कि देश भर के लोग महंगा खाना खा रहे हैं और संसद में बेहद कम दामों पर खान दिया जा रहा है. इसके बाद कीमत बढ़ाई गई थीं.
पांच साल में 60.7 करोड़ सब्सिडी
आरटीआई से मिली एक जानकारी के मुताबिक संसद में कैंटीन को पिछले पांच सालों में 60.7 करोड़ की सब्सिडी दी गई है. यह फैसला संसदीय खाद्य समिति की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है. अध्यक्ष ने इस समिति को कैंटीन को मिलने वाली सब्सिडी के मामले पर विचार करने के लिए गठित किया था.
नए नियम के अनुसार कीमतें कुछ इस तरह होंगी. जो वेज थाली 18 रुपये में मिलती थी वो अब 30 रुपये में मिलेगी. वहीं नॉन-वेज थाली 33 रुपये की बजाये 60 रुपये में मिलेगी. इसी तरह चिकन करी 29 रुपये की बजाये 61 रुपये में मिलेगी.
लोकसभा सचिवालय के अनुसार इन कीमतों की समय-समय पर समीक्षा की जाएगी. इसके अलावा कैंटीन में खाने के आइटम भी सीमित बनेंगे ताकि खाने की बर्बादी न हो. वहीं, टी/कॉफी वेडिंग मशीन लगाने की भी योजना है ताकि कर्मचारियों पर ज्यादा भार न आए. नई कीमतें सांसदों, लोकसभा और राज्यसभा से जुड़े स्टाफ, मीडियाकर्मियों, सुरक्षाकर्मियों और बाहर से आने वाले लोगों पर लागू होंगी.