सावित्रीबाई की 186वीं जयंती पर गूगल ने डूडल बनाकर दी श्रद्धांजलि

मुंबई : देश की पहली महिला शिक्षिका सावित्री फुले का आज 186 वां जन्मदिन है. इस मौके पर गूगल ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी है. उनकी जयंती के मौके पर गूगल ने डूडल बनाया है. सावित्रीबाई फुले को आधुनिक भारत की पहली महिला शिक्षिका, सामाजिक कार्यकर्ता, कवि के रुप में जाना जाता है.
सावित्रीबाई फुले ने रुढिवादी विचाधारा से ग्रस्त समाज से लड़कर महिलाओं के लिए शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया था. सावित्रीबाई फुले ने ही देश का पहला महिला विद्यालय खोला था. इसकें अलावा समाज में महिलाओं के खिलाफ प्रचलित कुप्रथाओं को खत्म कराने में सावित्रीबाई फुले की अहम भूमिका रही.
जानिए सावित्रीबाई फुले के बारे में महत्वपूर्ण 10 बातें-
1- सावित्रीबाई फुले ने अपने समाजसेवी पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर महिलाओं के लिए 18 स्कूल खोले. सावित्रीबाई फुले ने पहला और आखिरी यानि 18वां स्कूल पुणे में  खोला.
2- सावित्रीबाई को देश की पहली भारतीय स्त्री-अध्यापिका ऐतिहासिक गौरव हासिल है. उस समय के धर्म के ठेकेदारों ने उन्हें काफी भला बुरा कहा लेकिन वो अपने मार्ग से नहीं डिगीं. सावित्रीबाई फुले देश की पहली महिला शिक्षिका होने के साथ साथ महिलाओं के हक के लिए लड़ने वाली पहली नेता थीं.
3- सावित्रीबाई ने उस समय में छुआ-छूत, सतीप्रथा, बाल-विवाह और विधवा विवाह निषेध जैसी कुप्रथाओं के विरुद्ध मुहिम चलाई.
4- सावित्रीबाई ने 28 जनवरी 1853 को बलात्‍कार पीडि़त गर्भवतियों के लिए बाल हत्‍या प्रतिबंधक गृह की स्‍थापना की.
5- सावित्रीबाई ने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर जीवन भर समाज में अछूत समझे जाने वाले तबके खासकर महिलाओं और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया.
6- उस समय में विधवा महिलाओं के बाल काट दिए जाते थे. लेकिन सावित्रीबाई ने अपने पति के साथ मिलकर उसके खिलाफ आंदोलन किया. बाल काटने वाले नाईयों को समझाया, जिसके बाद इस कुप्रथा का अंत हुआ.
7- उनकी कोई अपनी संतान नहीं थी, सावित्रीबाई ने ब्राह्मण यशवंत राव को गोद लिया. उन्होंने दत्तक पुत्र यशवंत राव को पढ़ा-लिखाकर डॉक्टर बनाया.
8- यशवंत राव के बारे में बताया जाता है कि वो एक विधवा ब्राह्मण महिला काशीबाई से पैदा हुए थे. इसलिए उनकी मां उन्हें मारने जा रही थी. लेकिन सावित्रीबाई ने उनको गोद लेकर जीवनदान दिया.
9- सावित्रीबाई ने समाज में व्यापत कुरीतियों को जड़ से खत्म करने के लिए 1875 में ‘सत्यशोधक समाज‘ की स्थापना की.
10- 10 मार्च 1897 को प्लेग के मरीजोंकी देखभाल करते हुए प्लेग के कारण ही उनकी मृत्यु हुई.
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