नई दिल्ली : समाजवादी पार्टी में पिछले 3 दिनों से हर रोज नई स्क्रिप्ट लिखी जा रही है. कभी अखिलेश गुट हावी रहता है, तो कभी मुलायम गुट. आज लखनऊ में एक बार फिर सियासी ड्रामे का क्लाइमेक्स देखने को मिला. अब एक पार्टी में दो-दो राष्ट्रीय अध्यक्ष हो गए हैं. मुलायम सिंह खुद को अध्यक्ष बता रहे हैं और अखिलेश खुद को.
इसके अलावा एक-दूसरे के गुट के लोगों को पार्टी से बाहर निकालने का दौर भी चला. आज पूरे समाजवादी पार्टी में जो कुछ हुआ, उस पर हम सीधे लखनऊ ले चलेंगे. लखनऊ के जनेश्वर पार्क में आज अखिलेश गुट ने अधिवेशन बुलाया और इस अधिवेशन में कई चौंकाने वाले फैसले लिए गए.
24 साल से पार्टी संभालने वाले मुलायम सिंह को मार्गदर्शक बना दिया गया, और इस दौरान वो खुद वहां मौजूद नहीं थे. अखिलेश ने कल 207 विधायकों के समर्थन की लिस्ट मुलायम सिंह को सौंपी थी, आज उसका प्रदर्शन भी कर दिया. मंच पर कई विधायक अखिलेश के पैर छूते दिखाई दिए, तो सड़क पर भी अपना दमखम दिखा दिया.
रविवार को अखिलेश-रामगोपाल गुट से जो बड़ी बातें सामने आई हैं, वो हैं…
- अखिलेश यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया है
- मुलायम सिंह अब मार्गदर्शक की भूमिका में रहेंगे
- शिवपाल यादव को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया है
- अमर सिंह को बाहर का रास्ता दिखाया है.
- नरेश उत्तम समाजवादी पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष होंगे
मुलायम-शिवपाल गुट की बड़ी बातें-
- मुलायम सिंह ने आज हुए अधिवेशन को अंसवैधानिक माना है
- अधिवेशन बुलाने के लिए रामगोपाल को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है
- नरेश अग्रवाल और किरणमय नंदा को भी सस्पेंड कर दिया है
- 5 जनवरी को लखनऊ में होने वाले अधिवेशन में मुलायम आगे की रणनीति का खुलासा करेंगे
- इस दौरान जो विधायक मौजूद नहीं रहेगा, उसका टिकट काट दिया जाएगा.
25 साल पुरानी पार्टी में विरासत के लिए जंग होगी, पिछले कई दिनों से इसका ट्रेलर देखने को मिल रहा था, लेकिन बवाल कुछ इस तरह बढ़ेगा, किसी ने उम्मीद ना की थी. पिता-पुत्र खटपट से आहत हैं, लेकिन सियासी चाहत भी है. विरोधियों के बजाय एक-दूसरे को पटखनी देने के लिए दांव-पेच चले जा रहे हैं.
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