लखनऊ: राजनीति में परिवार के दूर-दूर के रिश्तेदारों को सेट करने के लिए मशहूर सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के लिए भाई शिवपाल सिंह यादव इतने अहम हैं कि उन्हें अपने ही इकलौते बेटे अखिलेश यादव को अनुशासनहीनता और कार्रवाई का नोटिस भेजना पड़ रहा है.
देश, समाज, राजनीति और इतिहास पर इस देश में पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा अपनी बेटी इंदिरा गांधी को लिखा गया खत अध्य्यन और अध्यापन का विषय रहा है. एक खत आज सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह ने अपने बेटे अखिलेश को लिखा है जिसने यूपी की सियासत को हिलाकर रख दिया है.
दोनों पत्र की तुलना सिर्फ इसलिए कि राजनीति में पिता और संतान का रिश्ता कहां से कहां पहुंच गया है, इसकी वानगी मुलायम के पत्र से मिलती है. नहीं तो दोनों पत्र अलग तरह के हैं जिनका मकसद भी अलग था और ऐतिहासिक महत्व भी अलग दर्जे का होगा.
टिकट बंटवारे पर चाचा-भतीजा के झगड़े में मुलायम भाई की तरफ
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए टिकट बांटने को लेकर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के झगड़े में मुलायम सिंह शिवपाल की तरफ झुके नजर आए जिसके बाद अखिलेश ने कैंडिडेट की एक समानांतर सूची जारी कर दी.
सूत्रों के हवाले से कहा गया कि अखिलेश किसी भी कीमत पर अपनी छवि के साथ समझौता करने के मूड में नहीं हैं और क्रिमिनल या भ्रष्ट लोगों को टिकट देने के खिलाफ अपने कैंडिडेट देंगे और उनके लिए ही प्रचार करेंगे भले वो समाजवादी पार्टी के ऑफिसियल कैंडिडेट के खिलाफ क्यों ना हो.
शिवपाल से रगड़ा में लोगों की सहानुभूति अखिलेश के साथ
इसके बाद सपा प्रमुख ने अखिलेश को पार्टी के लेटर हैड पर एक कारण बताओ नोटिस जारी करके कहा है कि जब उन्होंने विधानसभा चुनाव के लिए खुद लिस्ट जारी कर दी थी तो उन्होंने एक समानांतर लिस्ट जारी करने की अनुशासनहीनता कैसे की. अखिलेश से पूछा गया है कि पार्टी उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों ना करे.
इस पूरे विवाद का नतीजा क्या निकलेगा, फिलहाल तो कोई भी दावे के साथ नहीं कह सकता लेकिन इस पूरे प्रकरण से अखिलेश को लेकर लोगों में सहानुभूति पैदा हो रही है जो खुद अखिलेश के अब तक के बेदाग इमेज की वजह से है.