जॉनसन एंड जॉनसन की बड़ी गड़बड़ी को जानते हुए भी सरकार ने इस पर बैन लगाने में दो साल का समय लगा दिया. जिस वजह से 3,600 मरीजों का गलत हिप इम्प्लांट हुआ.
नई दिल्लीः गलत हिप इंप्लांट डिवाइस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जॉनसन और जॉनसन ने 24 अगस्त, 2010 को वापस ले लिया था लेकिन इसके बाद भी भारतीय आयातकों ने इस पर प्रतिबंध लगाने और इसका लाइसेंस रद्द करने में दो साल का समय लगा दिया. वर्ष 2010 में ही स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले नियामक, केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन की जानकारी में ये बात आ गई थी कि पूरे विश्व से इस गलत हिप इम्प्लांट डिवाइस को वापस कर दिया गया है. जिस वजह से हजारों की संख्या में मरीजों का गलत हिप इम्प्लांट हुआ.
आपको बता देें कि लाइसेंस रद्द करने में देरी इसलिए मायने रखती है क्योंकि फर्म ने फरवरी 2017 में हेल्थ मिनिस्ट्री द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति को बताया था कि इस वजह से करीब 3,600 मरीजों का गलत हिप इम्प्लांट हुआ. गौरतलब है कि 2006 में पहली बार एएसआर हिप रिजफैसिंग सिस्टम भारत लाया गया था. वहीं विश्व स्तर पर इसकी वापसी से पहले साल 2010 में भारत में इसका लाइसेंस रीन्यू हुआ. लेकिन साल 2009 की शुरुआत में ही ऑस्ट्रेलियाई नियामकों ने संशोधन सर्जरी की उच्च दरों को खतरनाक करार देते हुए प्रोडक्ट वापस कर दिया.
वहीं भारत में 2006 के बाद से कम से कम 4,700 सर्जरी की गईं और जॉनसन एंड जॉनसन प्रशासन की माने को जनवरी 2014 और जून 2017 के बीच 121 गंभीर घटनाएं भी हुईं. डॉक्यूमेंट्स से पता चलता है कि 11 अप्रैल 2012 को तत्कालीन ड्रग कंट्रोलर जनरल जीएन सिंह ने फर्म को नोटिस जारी कर डिवाइस की आयात रोकने को कहा था.
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