नई दिल्ली : सातवें वेतन की विसंगतियों को दूर करने के लिे गठित कमेटी और कर्मचारी संघों के बीच बातचीत असफल हो गई है. कर्मचारी संघों के नेताओं का आरोप है कि कमेठी उनकी मांगें नहीं मान रहे है. जिससे नाराज संघों ने 15 फरवरी को हड़ताल पर जाने का फैसला किया है. इस हड़ताल में कई संघों के करीब 33 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 34 लाख पेंशनरों के शामिल होने की उम्मीद है.
संघों के नेताओं का मानना है कि केंद्र सरकार सातवे वेतन को जनवरी 2016 से लागू कर चुकी है लेकिन इसमें विसंगतियां बरकरार हैं. इन विसंगतियों के सुधार के लिए बनाई गई कमेटी हमारी मांगों को नजरअंदाज कर रही है. इसके अलावा केंद्र सरकार के तीन मंत्रियों आश्वासन से पलट रहे हैं. जिसके कारण कर्मचारी संघ हड़ताल को मजबूर हैं. नेताओं का कहना है कि यह हड़ताल 33 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 34 लाख पेंशनरों के आत्मसम्मान के लिए रखी गई है.
नेताओं ने दावा किया कि 15 फरवीर को होनी वाली हड़ताल में करीब 15 लाख केंद्रीय कर्मचारियों शामिल होंगे. इसके अलावा स्वायत्त संस्थाओं के कर्मचारी भी इसमें हिस्सा लेंगे. कर्मचारी नेताओं ने आरोप लगाया कि एनडीए सरकार ने हमें धोखा दिया है. बता दें कि केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अरुण जेटली और सुरेश प्रभु द्वारा न्यूनतम वेतनमान और फिटमेंट फॉर्मूला में बढ़ोतरी के आश्वासन के बाद कर्मचारियों ने पहले अपनी हड़ताल टाली थी.