नई दिल्ली: पाकिस्तान के हिंदुओं के लिए उनका अपना ही देश काला पानी हो गया है. इंसान के जीने के लिये उसे बेहद मामूली सी इज्जत दी जाती है या इंसान सा सलूक किया जाता है. वहां के हिंदुओं को वो भी नसीब नहीं है. अर्धसत्य में आज पाकिस्तान की उस आबादी के हालात देखिए जो खुद को हिंदू कहती हैं लेकिन इससे जयादा जरुरी बात ये कि ये लोग पाकिस्तान के नागरिक है.
पाकिस्तान के हिंदू परिवारों का मुद्दा इसलिए उठाया है कि दुनिया की दो बड़ी न्यूज़ एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में मोटे तौर पर एक बड़ा सवाल उठाया है. सवाल ये है कि क्या पाकिस्तान में एक भी हिंदू परिवार नहीं बचेगा? और ये सवाल कितना बड़ा है. इसका अंदाजा इस बात से लगाइए कि 1947 के बंटबारे के समय पाकिस्तान में हिंदुओं जनसंख्या वहां की आबादी का 15 फीसदी थी, जो अब घटकर 1.5 फीसदी रह गई. मतलब दस गुना कम हो गई है.
इस बीच आज का पाकिस्तान जो 1947 में 4 करोड़ का देश था उसकी आबादी लगभग 19 करोड़ हो चुकी है. अब सवाल ये है कि जब पाकिस्तान की जनसंख्या सुपरसोनिक रफ्तार से बढ़ी या बढ़ती ही जा रही है तो वहां के हिंदू क्यों घट रहे हैं. ग्लोबल स्लैवरी इंडेक्स 2016 की ताजा रिपोर्ट जिसे एसोसिएसट प्रेस ने अपनी रिपोर्ट में कोट किया है उसके मुताबिक पाकिस्तान में 20 लाख से ज्यादा लोग आज भी दास हैं, गुलाम हैं.
मतलब वो अपने मालिक के आदेश के बिना न हंस सकते हैं, न बोल सकते हैं, न खा सकते हैं न जी सकते हैं. इन गुलामों में 90 से 95 फीसदी तक अल्पसंख्यक हैं और इन अलपसंख्यकों में 98 फीसदी तक हिंदू हैं. सबसे खतरनाक बात ये है कि हर रोज़ करीब 21 लाख हिंदुओं में से 1 हजार लड़कियों को किसी न किसी बुजुर्ग मुस्लिम सामंत के पल्ले बांध दिया जाता है.
धर्म को आड़ में रखकर मामूली रस्मआदायगी होती है और इस तरह हर दिन पाकिस्तान में हिंदू घटते चले जाते हैं. सवाल ये भी जेहन में आता है कि अगर 21 लाख ही हिंदू बचे और रोजाना 1 हजार लड़कियों को जबरन उठा लिया जाता है तो क्या कोई नियम कानून नहीं है क्या पाकिस्तान में.
बनेजीर भुट्टो और जरदारी के बेटे बिलावल भुट्टो दीवाली के आसपास कराची के बड़े शिव मंदिर में जाकर पूजा अभिषेक किया. उन्होंने हर हर महादेव का नारा भी लगाया. लेकिन जिस कराची में वो महादेव की पूजा कर रहे थे उसी कराची में और आसपास एक खास मजहब के लोगों को इंसानों जैसी जिंदगी नसीब नहीं है. वो भी तब जब बिलावल की मां पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रहीं और पिता राष्ट्रपति. यानी जो दिख रहा है सच उसके ठीक उलट है.
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