पुण्यतिथि स्पेशल: ज्ञानी जैल सिंह के गाय चराने से राष्ट्रपति बनने तक का सफर

आज देश के सातवें राष्ट्रपति राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की 22 वीं पुण्यतिथि है. जैल सिंह का जन्म 5 मई 1916 को पंजाब राज्य के फरीदकोट जिले के संधवान ग्राम में हुआ था. वहीं उनकी मृत्यु 25 दिसंबर 1994 को एक सड़क हादसे में हुई थी.

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पुण्यतिथि स्पेशल: ज्ञानी जैल सिंह के गाय चराने से राष्ट्रपति बनने तक का सफर

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  • December 25, 2016 6:03 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली : आज देश के सातवें राष्ट्रपति राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की 22 वीं पुण्यतिथि है. जैल सिंह का जन्म 5 मई 1916 को पंजाब राज्य के फरीदकोट जिले के संधवान ग्राम में हुआ था. वहीं उनकी मृत्यु 25 दिसंबर 1994 को एक सड़क हादसे में हुई थी. जैल सिंह बेहद साधारण परिवार से आते थे. उन्होंने गरीबी के कारण गायें भी चराई थीं. तो आइए आज जानते हैं एक गाय चरवाहा से राष्ट्रपति बनने तक का जैल सिंह का सफर कैसा रहा.
 
 
स्कूली शिक्षा नहीं की पूरी 
जैल सिंह के पिता किशन सिंह एक किसान व बढई थे, उनका परिवार बेहद निर्धन था. जैल सिंह का असली नाम जरनैल सिंह था. जैल सिंह को शुरू से ही पढाई से ज्यादा लगाव नहीं था. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा भी पूरी नहीं की थी. लेकिन उर्दू भाषा सिखने की ललक के कारण उन्होंने उर्दू का ज्ञान प्राप्त किया. 
 
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संगीत का शौक
जैल सिंह को बचपन से ही संगीत का शौक था, जिसके कारण उन्होंने हारमोनियम  बजाने वाले के यहां उसके कपड़े धोकर, उसका खाना बनाकर बजाना सीखा. पिता की सलाह पर जैल सिंह गुरुद्वारा में भजन कीर्तन करने लगे. बाद में उन्होंने अमृतसर के शहीद सिख मिशनरी कॉलेज से गुरु ग्रंथ का पाठ सीखा जिससे वे गुरुग्रंथ साहब के ‘व्यावसायिक वाचक’ बन गए. वहीं पर जैल सिंह को ज्ञानी की उपाधि से सम्मानित किया गया. 
 
 
स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी
देश के आजादी के आंदोलन के समय उनकी उम्र केवल 15 साल थी. लेकिन बावजूद इसके उन्होंने देशभक्ति के कारण ब्रिटिश सरकार के खिलाफ काम कर रही अकाली दल की सदस्यता ले ली. 1938 में उन्होंने प्रजा मंडल नामक एक राजनैतिक पार्टी का गठन किया और कांग्रेस के साथ मिलकर अंग्रेजों का विरोध करना शुरु कर दिया. जिसके कारण उन्हें 5 साल के लिए जेल भेज दिया गया. यहीं से इनका नाम जैल सिंह पड़ा.
 
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राजनीतिक पारी की शुरुआत
1946 में फरीदकोट में एक कार्यक्रम में जैल सिंह की प्रतिभा औच योग्यता देखकर जवाहर लाल नेहरु जी ने उन्हें कांग्रेस की सदस्यता दिलाई. आजादी के बाद जैल सिंह को पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्यों के संघ का राजस्व मंत्री बना दिया गया. 1951 में वे कृषि मंत्री बने. इसके अलावा वह 1956 से लेकर 1962 तक राज्यसभा के भी सदस्य रहे. 
 
 
पंजाब के मुख्यमंत्री बने
1969 तक जैल सिंह कांग्रेस के विश्वासपात्र नेताओं में से एक बन गए थे. साथ ही उनके इंदिरा गांधी से काफी अच्छे राजनीतिक संबंध थे. जिसके कारण 1972 में इन्हें पंजाब के मुख्यमंत्री बना दिया गया. जहां वे 1977 तक मुख्यमंत्री पद पर रहे. 
 
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देश के गृह मंत्री
1980 में इंदिरा गांधी उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में ले आयीं. लोकसभा चुनाव जीतने पर इंदिरा गांधी से दोस्ती के चलते उनको देश का गृह मंत्री बना दिया गया. इस पद पर वे दो साल तक रहे.
 
देश के राष्ट्रपति
देश के 6वें राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी का कार्यकाल समाप्त होने के बाद 25 जुलाई, 1982 को उन्हें सर्वसम्मति से देश का राष्ट्रपति बनाया गया. राष्ट्रपति के तौर पर जैल सिंह ने अपना कार्यकाल पूरा किया.
 
विवादों में घिरे
जैल सिंह के राष्ट्रपति पद पर रहने के समय ही इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम दिया. साथ ही इसी समय में इंदिरा गांधी की हत्या हुई, जिसके कारण हजारों की संख्या में सिखों का कत्ल किया गया. बताया जाता है कि इंदिरा की मौत के बाद राजीव गांधी के पीएम बनने पर किसी विधेयक को पास करने को लेकर उनके और राजीव के संबंध काफी खराब हो गए थे. 
 
सड़क हादसे में मौत
25 दिसंबर 1994 में तख्त श्री केशगड़ साहिब जाते समय उनकी गाड़ी दुर्घटना का शिकार हो गई और उनकी मृत्यु हो गई. 
 

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