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जन्मदिन विशेष: मदन मोहन मालवीय ने समाज सेवा के लिए छोड़ दी थी वकालत की प्रैक्टिस

आज महामना मदन मोहन मालवीय का जन्मदिन है. इनका जन्म 25 दिंसबर 1861 को हुआ था. वे भारत के पहले और अन्तिम व्यक्ति थे जिन्हें 'महामना' की सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया था. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रणेता तो थे और इस युग के आदर्श पुरुष भी माने जाते हैं.

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  • December 25, 2016 3:43 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: आज महामना मदन मोहन मालवीय का जन्मदिन है. इनका जन्म 25 दिंसबर 1861 को हुआ था.  वे भारत के पहले और अन्तिम व्यक्ति थे जिन्हें ‘महामना’ की सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया था. मदन मोहन मालवीय ने समाज सेवा को अपनी पूरी जिंदगी सौंप दी थी.
 
जानें महामना के बारे में कुछ खास बातें….
 
मदन मोहन मालवीय का जन्म इलाहाबाद के एक ब्राह्मण परिवार में 25 दिसंबर 1861 को हुआ था.  वह अपने पिता पंडित बैजनाथ और माता मीना देवी के आठ बच्चों में से एक थे.
 
पांच वर्ष की उम्र में उनकी शिक्षा प्रारंभ हुई और उन्हें महाजनी स्कूल भेज दिया गया. इसके बाद वह धार्मिक विद्यालय चले गए जहां उनकी शिक्षा-दीक्षा हरादेव जी के मार्गदर्शन में हुई. यहीं से उनकी सोच पर हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति का प्रभाव पड़ा.
 
 
16 वर्ष की उम्र में मदन मोहन मालवीय की शादी मिर्जापुर की कुंदन देवी के साथ साल 1878 में हो गया. उनकी पांच पुत्रियां और पांच पुत्र थे.
 
कलकत्ता विश्वविद्यालय से बीए की शिक्षा पूरी करने के बाद 40 रुपए मासिक वेतन पर इलाहाबाद जिले में शिक्षक बन गए. वह आगे एम.ए. की पढ़ाई करना चाहते थे लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण ऐसा नहीं कर पाए.
 
 
 
 
1886 में दादाभाई नौरोजी की अध्यक्षता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के द्वितीय अधिवेशन में भाग लिया. 1909 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने.
 
वो एक महान राजनेता और शिक्षाविद थे. उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की. जो भारत के सबसे बेहतरीन विश्वविद्यालयों में से एक है.
 
राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र में बतौर संपादक नौकरी शुरू की. साल 1889 संपादक की नौकरी छोड़कर एलएलबी की पढ़ाई शुरू की. पढ़ाई पूरी करने के बाद इलाहाबाद जिला न्यायालय में प्रेक्टिस शुरू की.
 
साल 1911 में समाज और देश सेवा के लिए अपनी जमी हुई वकालत की प्रेक्टिस छोड़ दी.
 
 
मदन मोहन मालवीय जी को महात्मा गांधी ने अपना बड़ा भाई कहा और ‘भारत निर्मात’ की संज्ञा दी. मालवीय ने समाज सेवा को पूरी जिंदगी सौंप दी थी. 
 
मदनमोहन मालवीय के नाम पर इलाहाबाद, लखनऊ, दिल्ली, भोपाल और जयपुर में रिहायशी क्षेत्रों को मालवीय नगर नाम दिया गया.
 
जीवन के अंतिम वर्षों में बीमारी के चलते मदन मोहन मालवीय का 85 वर्ष की उम्र निधन 12 नवंबर 1946 को हो गया.

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