नई दिल्ली: 8 नवंबर को नोटबंदी के फैसले के बाद से ही मोदी सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर है. विपक्ष सरकार पर आरोप लगाती रही है कि नोटबंदी का फैसला जल्दबाजी लिया गया है लेकिन एक RTI से मिली जानकारी के अनुसार नोटबंदी पर RBI की तैयारी बहुत पहले से चल रही थी. 8 नवंबर को पीएम ने जब नोटबैन की घोषणा की तो उससे कुछ घंटे पहले ही RBI ने सरकार से नोटबंदी की सिफारिश की थी.
RBI एक्ट 1934 के अनुसार केंद्र सरकार अकेले नोटबंदी का फैसला ले सकती है. इसके सरकार को आरबीआई की सिफारिश की जरुरत है. 8 नवंबर को भी सरकार ने RBI की सिफारिश के बाद ही नोटबंदी का ऐलान किया.
अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स के अनुसार RBI बोर्ड के दस में आठ अधिकारियों ने बैठक कर इस प्रस्ताव पर मुहर लगाई थी. बैठक में RBI के गवर्नर उर्जित पटेल, वित्तीय मामलों के सचिव शक्तिकांता दास भी मौजूद थे. हालांकि एक कानून के मुताबिक RBI की 21 बोर्ड की मेंबर को नोटबंदी जैसे फैसले पर निर्णय लेने का अधिकार है पर खुद RBI में इससे आधी संख्या में अधिकारी हैं.
नोटबंदी के ऐलान और RBI की बोर्ड मीटिंग के बीच सिर्फ 2 घंटों का अंतर था. एक खबर ये भी आ रही है कि नोटबंदी के इस कार्रवाई की तैयारी सरकार और RBI बहुत पहले से कर रही थी. नोटबंदी के ऐलान के समय RBI 4.94 लाख करोड़ के 2000 के नोट छाप चुकी थी.
यह बात भी सामने आ रही है कि नोटबंदी के फैसले से पहले ही 4.94 लाख करोड़ की रकम के 2000 रुपये के नोट छापे जा चुके थे। इस बारे में सवाल करने पर वित्तीय मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा कि- इसके बारे में बात करने का अब कोई फायदा नहीं है. हमें अब इस फैसले के रिजल्ट पर ध्यान देना चाहिए.