नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की हालत नाजुक है. वह दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती हैं जिनसे मिलने स्वतंत्रता दिवस 15 अग्सत, शाम से ही तमाम दिग्गज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, केंद्रीय मंत्री हरमीत कौर बादल आदि मिलने पहुंचे. पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का इतिहास में नाम उनके द्वारा उठाए गए सख्त कदम की वजह से दर्ज है. आइये जानते हैं कि कैसे अटल बिहारी वाजपेयी और बीजेपी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी की दोस्ती के बीच कैसे आडवाणी की पत्नी कमला आडवाणी ने अहम भूमिका निभाई थी.
जब अटल बिहारी वाजपेयी के लिए भारत रत्न का ऐलान हुआ तो लाल कृष्ण आडवाणी ने अपने बयान में कहा कि वो हमेशा से मेरे रोल मॉडल रहे हैं. भारत के इतिहास में दक्षिणपंथ की राजनीति के ये दो ऐसे चेहरे रहे हैं, जो एक दूसरे से विपरीत स्वभाव और कई मुद्दों पर एक राय ना रखने के बावजूद अपनी पार्टी को कंधे से कंधा मिलाकर शिखर पर ले गए.
ऐसे में जब दोनों के बीच कुछ असहज स्थिति आती थी, तो सहज बनाने का काम जो शख्स करता था, उसकी चर्चा बहुत कम होती है. वो थीं एल के आडवाणी की पत्नी कमला आडवाणी. आडवाणी जब वाजपेयी से पहली बार राजस्थान में मिले तो उस वक्त आडवाणी राजस्थान की जनसंघ यूनिट के सेक्रेट्री थे.
1957 में जब वाजपेयी जी ने दो सीटों पर चुनाव लड़ा और राजा महेन्द्र प्रताप से मथुरा में हारने के बावजूद वो बलरामपुर से चुनाव जीतकर लोकसभा चले गए तो दीनदयाल उपाध्याय ने आडवाणी से कहा कि तुम दिल्ली आ जाओ. यहां पार्टी के पार्लियामेंट्री वर्क में मदद के लिए तुम्हारी नेशनल लेवल पर जरूरत है. अब तो अटलजी वो काम देख रहे थे.
आडवाणी को वाजपेयी जी के साथ ही एक घर में साथ रहना था. वाजपेयी के मस्तमौलेपन और वाकपटुता से आडवाणी काफी प्रभावित हुए. अटल जी उन्हें अपने हाथों से खिचड़ी बनाकर खिलाया करते थे. आडवाणी को कुकिंग नहीं आती थी. दोनों को ही फिल्में देखने का भी काफी शौक था. कई फिल्में दोनों ने साथ देखीं. इतना ही नहीं अटलजी आडवाणी को पुरानी दिल्ली में चाट खिलाने भी ले जाते थे. उन दिनों मीडिया इतना ज्यादा एक्टिव नहीं था और दोनों को इतना कोई पहचानता भी नहीं था. इसलिए ऐसे वक्त में दोनों ने एक साथ काफी अच्छा वक्त बिताया.
आडवाणी जी की शादी जब कमला आडवाणी से हो गई तो उन्होंने इन दिनों के बारे में, अटलजी से रिश्तों के बारे में उनसे भी चर्चा की. आडवाणी थोड़े अर्न्तमुखी रहे हैं, लोगों से रिश्ते कैसे और बेहतर बनाने हैं, ये उन्हें कमला आडवाणी ने ही सिखाया. वो अक्सर अटलजी को भी लंच या डिनर पर बुला लिया करती थीं.
आडवाणी की वजह से उनकी पत्नी जो पहले नॉन-वेजिटेरियन थीं, पूरी शाकाहारी बन गई थीं. इसी के चलते अटलजी जो नॉनवेज भी खाते थे, आडवाणी के घर उसका आनंद नहीं ले पाए. कमला आडवाणी उनके लिए उनकी पसंदीदा दो डिशेज जरूर बनाती थीं, एक तो सिंधी कढ़ी और दूसरी खीर.
ऐसे में जब कई बार कुछ मुद्दों पर अटल बिहारी और आडवाणी एक मत नहीं होते थे तो कुछ दिनों के लिए उनकी सामान्य बातचीत कम हो जाती थी, या बंद हो जाती थी. ऐसे में आडवाणी खुद भी अपने को घर तक सीमित कर लेते थे. आडवाणी की लाहौर यात्रा के बाद भी ऐसा ही हुआ, ऐसे में अटलजी ने कमला आडवाणी को फोन किया और लंच पर बुलाने का आग्रह किया. अटल जी आए और लंच की टेबल पर अपने अंदाज में कुछ कविताएं, कुछ मजेदार किस्से सुनाए तो आडवाणी जी का भी गुस्सा हलका हो गया.
ऐसा ही एक बार विवाद हुआ 2001 में डिफेंस डील में स्कैम का मामला उठने पर. कमला जी ने पहल की और अटल जी को घर पर खाने के लिए बुलाया, शायद आडवाणी को जानकारी भी नहीं थी. वो आडवाणी की चुप्पी को देखकर समझ गई थीं, ये अटलजी से सीनियर होने के नाते अपना विरोध जताएंगे नहीं और अंदर ही अंदर घुटते रहेंगे. ऐसे में खाने की टेबल पर वो काम हंसते हंसते आसानी से हो गया, अटलजी भी खुश थे कि आडवाणी के मन का गुबार बाहर आ गया.
हालांकि अटलजी भी आडवाणी की बात कभी टालते नहीं थे, उनको बखूबी अंदाजा था कि भले ही उनको प्राइम मिनिस्टर के पद के लिए चुना गया हो, लेकिन केवल 2 सीट वाली पार्टी को सरकार बनाने के स्तर तक लाने में आडवाणी जैसी मेहनत किसी ने नहीं की.
तभी तो गुजरात दंगों के बाद जब अटलजी ने ये तय कर लिया कि पार्टी के गोवा अधिवेशन में मोदी का इस्तीफा लेकर मंजूर कर लिया जाएगा तो आडवाणी ने गोवा की फ्लाइट में ही अटल जी से गुजारिश की कि मोदी से इस्तीफा ना लिया जाए तो वो आडवाणी की बात थी, जिसके चलते अटलजी ने अपना इरादा टाल दिया. वरना मोदी का भविष्य वो नहीं होता जो आज है.
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