इंडिया न्यूज़ के विशेष शो बेटियां में आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ऐसी बेटियों की कहानी जो कि अपनी उम्र के बंधनों को तोड़ सफलता के शिखरों पर राज कर रही हैं. इन बेटियों ने न सिर्फ बड़ी-बड़ी मुश्किलों को आसानी से पार किया बल्कि अपने परिवार और इलाके का नाम देश में रौशन भी किया. 10 साल की श्रुति 3 की उम्र से योगा सीखा और 5 की उम्र आने तक दूसरों को भी सिखाने लगी. आज श्रुति सबसे कम उम्र की योगगुरु हैं. श्रुति ने छह वर्ष की उम्र में ही योग गुरू की उपाधि हासिल कर ली थी.
नई दिल्ली. इंडिया न्यूज़ के विशेष शो बेटियां में आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ऐसी बेटियों की कहानी जो कि अपनी उम्र के बंधनों को तोड़ सफलता के शिखरों पर राज कर रही हैं. इन बेटियों ने न सिर्फ बड़ी-बड़ी मुश्किलों को आसानी से पार किया बल्कि अपने परिवार और इलाके का नाम देश में रौशन भी किया. 10 साल की श्रुति 3 की उम्र से योगा सीखा और 5 की उम्र आने तक दूसरों को भी सिखाने लगी. आज श्रुति सबसे कम उम्र की योगगुरु हैं. श्रुति ने छह वर्ष की उम्र में ही योग गुरू की उपाधि हासिल कर ली थी.
दूसरी बेटी है नंदिनी चौहान. नंदिनी उन लाखों परिवारों की एक सामान्य बेटी की तरह है जिनके परिवार का चूल्हा पिता की मजदूरी से जलता है. तमाम विपरीत हालात और हर कदम पर गरीबी के संघर्ष को नंदिनी ने अपनी नियति नहीं बनने दिया. नंदिनी ने पढ़ने की ललक में कभी भी गरीबी को आड़े नहीं आने दिया. गरीब परिवार की इस बेटी पर अब पूरे सूबे को नाज है. नंदिनी ने अपनी मेहनत से मध्य प्रदेश बोर्ड में पूरे प्रदेश में चौथा स्थान प्राप्त किया है.
देश की एक और बेटी 15 साल की सुषमा वर्मा एमएससी (माइक्रोबायोलॉजी) कंप्लीट कर देश की सबसे छोटी पोस्ट ग्रेजुएट बन गई है. सुषमा ने बाबासाहब भीमराव अंबेडकर (सेंट्रल) यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है. शनिवार को ही उनके चौथे सेमेस्टर का रिजल्ट घोषित किया गया. उन्होंने पहले, दूसरे और चौथे सेमेस्टर में 8, 8.5, 9 के सेमेस्टर ग्रेड पाइंट एवरेज से टॉप किया. तीसरे सेमेस्टर में वे बस .25 फीसदी से पीछे रह गई. एमएससी में सुषमा से करीब 8 साल बड़े स्टूडेंट्स हैं. पर्यावरण माइक्रोबायोलॉजी के एचओडी नवीन कुमार का कहना है कि वह (सुषमा) के एमएससी टॉप करनी की संभावना है, लेकिन हम अभी क्यूमुलेटिव मार्क्स का इंतजार कर रहे हैं, जो जल्द ही आने वाले हैं. आपको बता दें कि सुषमा के पिता तेज बहादुर इसी कॉलेज में दैनिक मजदूर पर काम करते हैं.