मुंबई : रतन टाटा ने टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री के साथ पिछले दो महीनों से चली आ रही खींचतान में आखिरकार चुप्पी तोड़ दी है. उन्होंने शुक्रवार को कहा, ‘पिछले दो महीनों में मेरी और टाटा जैसे बड़े ग्रुप की छवि खराब करने की बहुत कोशिशें की जा रही हैं.’
उनका कहना है कि साइरस मिस्त्री की तरफ से उनके ऊपर लगाए गए सभी आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं, इन आरोपों से बेहद तकलीफ हुई, लेकिन आखिर में सत्य की ही विजय होती है. रतन टाटा ने मुश्किल के समय में उनके साथ बने रहने के लिए शेयरधारकों का भी शुक्रिया अदा किया.
24 अक्टूबर को साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन के पद से हटाने के बाद से ही मीडिया में यह खबर हमेशा ही सुर्खियों में बनी रही. इस मुद्दे पर रतन टाटा ने कहा, ‘इन दिनों में काफी अकेलापन महसूस होता था, क्योंकि अखबार में इस मुद्दे से भरे पड़े थे, जिनमें से ज्यादातर आरोप बेबुनियाद थे और काफी पीड़ादायक भी.’
78 साल के इस दिग्गज उद्योगपति ने कहा कि टाटा ग्रुप पिछले 150 सालों से चट्टान की तरह खड़ा हुआ है. पारदर्शिता और मजबूत गवर्नेंस इसकी नींव है, प्रक्रिया लंबी और कष्टदायक क्यों न हो आखिर में सच की जीत होती है.
बता दें कि रतन टाटा ने सोमवार को टाट ग्रुप की 6 कंपनियों के निदेशक मंडल से भी इस्तीफा दे दिया है. मिस्त्री ने कहा था कि वो इस लड़ाई को बड़े प्लेटफॉर्म पर लेकर जाएंगे.