नई दिल्ली: सऊदी अरब के अस्तपताओं और मुर्दाघरों में करीब 150 भारतीयों की शव की रिपोर्ट को यहां विदेश मंत्रालय ने खारिज कर दिया है. मंत्रालय ने कहा है कि सिर्फ दो राज्यों से संबंधित 10 शव हैं. बता दें कि पहले खबर मिली थी कि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के 150 लाशें एक साल से अपने वतन भारत लौटने का इंतजार कर रही हैं.
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के हैदराबाद, वारंगल, निजामाबाद, महबूबनगर जैसे इलाकों के कई लोग हर साल सऊदी नौकरी की तलाश के लिए जाते हैं. आंकड़ों के अनुसार केवल आंध्र और तेलंगाना के ही करीब 10 लाख लोग सऊदी में काम करते हैं. हर रोज तीन से चार लोगों की स्वाभाविक मौत हो जाती है.
ये हैं नियम
सऊदी के नियमों के मुताबिक अगर किसी की मौत किसी तरह के हादसे में होती है तो 40 दिनों के अंदर लाश को उस आदमी के देश भेजा जाता है और अगर किसी की मौत हत्या की वजह से होती है तो इस मामले की जांच करने में करीब 60 से 90 दिन लग जाते हैं, इसके बाद लाश को स्वदेश भेजा जाता है.
लाश स्वदेश भेजने की प्रोसेस इतनी कठीन और लंबी होती है कि इसमें बहुत ज्यादा समय लग जाता है और यह प्रक्रिया काफी महंगी भी है, इसमें करीब 4 से 6 लाख रुपये का खर्च आता है. यही वजह है कि कर्मचारियों की लाश वापस भेजने में लोग दिलचस्पी नहीं लेते.