नई दिल्ली. आज देश के 5 वें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्मदिन है. उनका जन्म 23 दिसंबर 1902 को हापुड़ जिले के नूरपुर गांव में हुआ था.
एक किसान के नेता के तौर पर देश की राजनीति में अलग जगह बनाने वाले चौधरी चरण सिंह ने देश के पहले प्रधानमंंत्री नेहरू के सोवियत मॉडल का विरोध किया था.
चरण सिंह ने अपनी आदरा विश्वविद्यालय में पढ़ाई की थी. उसके बाद वह गाजियाबाद में वकालत करने लगे. उनका परिवार बल्लभगढ़ के राजा नाहर सिंह के खानदान से ताल्लुक रखता है जिन्हें अंग्रेजों ने फांसी दे दी थी.
चरण सिंह को देश किसानों की दुर्दशा को देख बहुत दुख होता था और उन्हीं के विकास के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. उनकी इस सोच का असर उनकी लेखनी पर भी दिखाई देता है.
ये भी पढ़ें, नोटबंदी के खिलाफ ममता 1 जनवरी से शुरू करेंगी ‘मोदी हटाओ, देश बचाओ’ अभियान
चौधरी चरण सिंह ने ‘अबॉलिशन ऑफ़ ज़मींदारी’, ‘लिजेण्ड प्रोपराइटरशिप’ और ‘इंडियास पॉवर्टी एण्ड इट्स सोल्यूशंस’ जैसी पुस्तकें भी की लिखीं.
चौधरी चरण सिंह का मानना था कि देश में किसानों की दशा सुुधारने के लिए आधुनिक आर्थिक कदम उठाने होंगे सहकारी खेती का बढ़ावा उनके साथ सिर्फ एक छलावा मात्र है.
चरण सिंह गांधी जी से बहुत प्रभावित थे. 1930 में अंग्रेजों ने उन्हें नमक कानून तोड़ने के पर 6 महीने की सजा सुनाई थी. 1937 में चौधरी चरण सिंह को छपरौली विधानसभा सीट से चुना गया और विधानसभा में उन्होंने किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक बिल भी पेश किया.
जब आपातकाल के बाद देश में मोरार जी देसाई की सरकार बनी तो उनके अनुभव को देखते हुए उन्हें गृहमंत्री और फिर उप-प्रधानमंत्री बनाया गया. यह उनके व्यक्तित्व का करिश्मा था कि मोरार जी देसाई की सरकार गिरने के बाद उनको विरोधी दल कांग्रेस और सीपीआई का समर्थन मिला और 28 जुलाई 1979 को देश का 5 वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली.
उनको 20 अगस्त को बहुमत सिद्ध करने का समय दिया गया लेकिन 19 अगस्त को ही इंदिरा गांधी ने समर्थन वापल ले लिया.
उनकी राजनीति विरासत को अब उनके बेटे अजित सिंह आगे बढ़ा रहे हैं. अजित सिंह ने अपनी पार्टी भी बनाई है जिसका नाम राष्ट्रीय लोकदल है.
वह कई सरकारों में मंत्री रह चुके हैं लेकिन राजनीति में अजित सिंह वह कद कभी नहीं हासिल पाए जो जगह उनके पिता चौधरी चरण सिंह को मिली थी.
देश में किसानों की हालत आज भी वैसी ही है लेकिन राजनीतिक मंच से उनकी आवाज को उठाने के लिए चौधरी चरण सिंह इस दुनिया में नही है. आत्महत्या के लिए मजबूर किसानों को शायद यही वजह है कि चरण सिंह में अपना मसीहा दिखता था.
चरण सिंह की जयंती को सरकार ने किसान दिवस घोषित कर रहा है. नई दिल्ली में उनके समाधि का नाम किसान घाट रखा है. लेकिन इन प्रतीकों से उनको श्रद्धांजलि देना तब तक बेमानी है जब देश का किसानों की हालत ठीक नहीं होगी.
ये भी पढ़ें, राशिफल 2017 : नए साल में मिलेगा प्यार या होगी तकरार, चलेगा बिजनेस या डूबेगी नैया
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से चोरी का एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जो इलाके…
उत्तर प्रदेश के कन्नौज से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां…
असम के दीमा हसाओ जिले में कोयला खदान में फंसे 9 मजदूरों को बचाने के…
भूकंप प्रभावित लोगों को बचाने के लिए चीन की स्टेट काउंसिल ने भूकंप प्रभावित शहर…
कंगना रनौत की अपकमिंग फिल्म 'इमरजेंसी' जल्द ही बड़े पर्दे पर दस्तक देने वाली है।…
सत्ययुग दर्शन विद्यालय के प्रिंसिपल डॉ. अरुण कुमार शर्मा ने बताया कि अतुल का चार…