नई दिल्ली: नजीब जंग के इस्तीफे से खाली हुए दिल्ली के उप-राज्यपाल पद पर नरेंद्र मोदी सरकार किसे बिठाएगी, इस पर आधिकारिक फैसला और घोषणा में अभी समय है लेकिन जो तीन नाम बड़ी तेजी से चर्चा में आए हैं वो तीनों नौकरशाह रह चुके हैं. अनिल बैजल, बीएस बस्सी और किरन बेदी.
सूत्रों का कहना है कि सरकार और पार्टी के नेताओं के बीच यह नाम तेजी से चल रहा है. इन तीनों में अनिल बैजल और बीएस बस्सी का नाम आगे चल रहा है. किरन बेदी को दिल्ली लाने में नैतिक मसला ये है कि वो दिल्ली में बीजेपी की सीएम कैंडिडेट रह चुकी हैं जिन्हें हराकर अरविंद केजरीवाल सरकार चला रहे हैं.
अरविंद केजरीवाल सरकार से उप-राज्यपाल रहते नजीब जंग की कभी बनी नहीं और दोनों कभी खुलकर और कभी छुपाकर एक-दूसरे पर निशाना साधते रहे. केजरीवाल जहां नजीब जंग पर मोदी सरकार के इशारे पर उन्हें तंग करने का आरोप लगाते रहे वहीं जंग उनकी फाइल, उनकी नियुक्तियां, उनके फैसले पलटते रहे.
दिल्ली में मुख्यमंत्री और एलजी के उलझ चुके रिश्तों में किरन बेदी को लाना माहौल को और तनावपूर्ण कर देगा जिससे शायद अब मोदी सरकार भी बचना चाह रही है. किरन बेदी दिल्ली आईं तो केजरीवाल को खुलकर यह कहने का मौका मिलेगा कि बीजेपी उन्हें परेशान कर रही है.
पूर्व गृह सचिव अनिल बैजल DDA के वाइस चेयरमैन भी रह चुके हैं
जंग की जगह पर नियुक्ति की रेस में सबसे आगे चल रहा है शहरी विकास सचिव पद से रिटायर हुए 1969 बैच के आईएएस अधिकारी अनिल बैजल का. बैजल रिटायरमेंट से पहले गृह सचिव, इंडियन एयरलाइंस के सीएमडी, प्रसार भारती के सीईओ और दिल्ली विकास प्राधिकारण यानी डीडीए के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं. डीडीए का अध्यक्ष एलजी ही होते हैं जिस पद पर उनकी नियुक्ति की चर्चा है.
अनिल बैजल अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में उन गिने-चुने नौकरशाहों में शामिल थे जिन्हें सरकार और बीजेपी का पसंदीदा माना जाता था. तत्कालीन गृहमंत्री व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने उनको गृह सचिव चुना था. बैजल का नाम दिल्ली के एलजी के अलावा जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल पद के लिए भी लंबे समय से चल रहा है जिस पद पर इस समय एनएन वोहरा हैं.
केजरीवाल सरकार से टकराने वाले पूर्व कमिश्नर बीएस बस्सी भी हैं रेस में
अनिल बैजल के बाद जिस आदमी का नाम रेस में है वो हैं दिल्ली के रिटायर्ड पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी. 1977 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे बस्सी दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार के साथ तकरार को लेकर चर्चा में रहे हैं.
केजरीवाल सरकार की दिल्ली के एलजी नजीब जंग के साथ-साथ पुलिस कमिश्नर बस्सी से भी नहीं बन रही थी. केजरीवाल ने तो यहां तक कह दिया था कि दिल्ली पुलिस बीजेपी और आरएसएस की निजी सेना की तरह काम कर रही है.
किरन बेदी की अगुवाई में बीजेपी दिल्ली विधानसभा में 32 से 3 विधायकों पर आ गई
बैजल और बस्सी के अलावा चर्चा में तीसरा नाम किरन बेदी का है जो 1972 बैच की आईपीएस अधिकारी रह चुकी हैं और लंबे समय तक दिल्ली में अलग-अलग पद पर तैनात रही हैं. बीजेपी ने 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में किरन बेदी को सीएम उम्मीदवार बनाया था और पार्टी मात्र 3 सीट जीत पाई जबकि पिछली विधानसभा में पार्टी के 32 विधायक थे.
अन्ना हजारे के लोकपाल आंदोलन में साथ-साथ रहे केजरीवाल और बेदी का रिश्ता भी बाद में बहुत मधुर रह नहीं गया और यही वजह थी कि बीजेपी ने केजरीवाल से मुकाबले के लिए उनको सीएम का कैंडिडेट तक बनाया लेकिन नतीजा सिफर रहा.
किरन बेदी को इसी साल मई में पुडुचेरी का लेफ्टिनेंट गवर्नर बनाया गया था. उनके आने से केजरीवाल सरकार से एलजी दफ्तर का झगड़ा व्यक्तिगत समीकरणों की वजह से और भी बढ़ सकता है जिससे मोदी सरकार भी परहेज करना चाहेगी. वैसे भी, दिल्ली से राजनीतिक रिश्ता होने की वजह से उनकी दिल्ली में तैनाती हो पाएगी, इसमें संदेह है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपने लोकसभा क्षेत्र बनारस के दौरे पर गए हैं. अब जब वो शाम तक दिल्ली लौटेंगे तब नए हालात पर चर्चा होगी. मोदी सरकार और पार्टी के वरिष्ठ सहयोगियों से बातचीत करके ही अपना मन बनाएंगे कि दिल्ली में नजीब जंग की जगह पर किसे बिठाया जाए.
जब तक नरेंद्र मोदी सरकार दिल्ली के लिए नजीब जंग का उत्तराधिकारी ना चुन लें, तब तक चर्चा का दौर चलता रहेगा. नाम दौड़ेंगे, नाम जुड़ेंगे, नाम हटेंगे. चर्चा की कोई सीमा और बुनियाद तो होती नहीं. वो शुरू हो जाती हैं तो हो जाती हैं