नई दिल्ली: 1984 की सिख विरोधी हिंसा के मामले में कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार की अग्रिम जमानत याचिका पर द्वारका कोर्ट ने फ़ैसला सुनाया है.
एसआईटी के सामने तीसरे समन में पेश होने से पहले अपनी गिरफ्तारी की आशंका को लेकर सज्जन कुमार ने द्वारका कोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की थी.
एसआईटी ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को इससे पहले 2 नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए पहले बुलाया था. सज्जन कुमार ने कोर्ट में कहा है कि 32 साल बाद उनका नाम लिया गया है और यह एक राजनीतिक साजिश है.
SIT की ओर से कहा गया कि सज्जन कुमार को दो बार पेश होने के समन भेजे गए लेकिन वो एक बार पेश हुए. सवालों के जवाब में उन्होंने सिर्फ नाम पता बताया. वो जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, इसलिए हिरासत में लेकर पूछताछ जरुरी है. मंगलवार को कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था.
दरअसल SIT ने 1 नवंबर 1984 को जनकपुरी में सोहन सिंह और उनके दामाद अवतार सिंह की हत्या और 2 नवंबर 1984 को विकासपुरी में गुरबचन सिंह को जलाने के मामलों की दोबारा जांच शुरु की है.
गुरबचन 29 साल तक बिस्तर पर रहे और तीन साल पहले उनकी मौत हुई है. इन मामलों में SIT ने कई गवाहों के बयान भी दर्ज किए हैं.
कोर्ट ने इन तीन शर्तों के साथ सज्जन कुमार की अग्रिम जमानत याचिका मंजूर की हैं-
1. एक लाख रुपये का बांड भरेंगे
2. जांच में सहयोग करेंगे
3. देश छोड़कर नहीं जाएंगे