नई दिल्ली: देश को भ्रष्टाचार और कालेधन से मुक्त करने के लिए आम आदमी तो अपना योगदान निभा रहा है लेकिन देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने का दावा करने वाली राजनीतिक पार्टियां खुद ऐसा नहीं करती हैं.
एक आंकड़े के मुताबिक देश की दो प्रमुख पार्टियों कांग्रेस और बीजेपी की कमाई का बड़ा हिस्सा अज्ञात स्रोतों से आता है. इस आंकड़े के मुताबिक कांग्रेस की 82.5 फीसदी और बीजेपी की 73 फीसदी कमाई इन अज्ञात स्रोतों से ही होती है. लेकिन कोई भी राजनीतिक पार्टी इन अज्ञात स्रोतों का खुलासा इनकम टैक्स रिटर्न में नहीं करती.
हमारे देश के कानूनों ने भी राजनीतिक पार्टियों को 20000 से कम का चंदा देने वाले का नाम, पता, पैन कार्ड डीटेल नहीं देने की छूट दे रखी है. देश में कालेधन को लेकर बहस तेज है और आम आदमी अपने पैसे को लेकर डरा हुआ है पर पार्टियों पर इसका कोई असर ही नहीं पड़ रहा है.
2015 तक के चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, देश में 1782 गैर मान्यता वाली रजिस्टर्ड पार्टियां हैं. चुनाव आयोग को भी शक है कि इनमें से ज्यादातर पार्टियां सिर्फ चंदाखोरी करने और ब्लैक को व्हाइट बनाने का खेल खेलने के लिए हैं.
ऐसे में जिन सवालों का जवाब जनता जानना चाहती है वो हैं- राजनीतिक पार्टियां चंदे में मिलनेवाले पैसे के पाई पाई का हिसाब क्यों न दें? आम आदमी कालेधन के ख़िलाफ़ लड़ाई में योगदान दे सकता है तो राजनीतिक पार्टियां क्यों नहीं? आम आदमी से उसकी कमाई पर सवाल पूछा जा सकता है तो राजनीतिक दलों से उन्हें मिले चंदे पर सवाल क्यों नहीं? क्या राजनीतिक पार्टियां देश और सिस्टम से ऊपर हैं?
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