नई दिल्ली: मणिपुर में इन दिनों काफी तनाव चल रहा है. कई इलाकों में आगजनी और तोड़फोड़ के बीच कर्फ्यू लगा दिया गया है और इंटरनेट सेवा को भी अस्थाई तौर पर बंद कर दिया गया है. प्रशासन लगातार लोगों से शांति बनाए रखने की अपील कर रहा है लेकिन मामला बढ़ता ही चला जा रहा है.
क्या है मामला?
दरअसल ये मामला मणिपुर में 1 नवंबर से जारी आर्थिक नाकेबंदी से जुड़ा है. ये नाकाबंदी नागा गुट द नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ़ नागालैंड/नागालिम (एनएससीएन) और यूनाइटेड नागा काउंसिल ने मिल कर लगा रखी है. इनकी मांग है कि जिस आदेश के तहत 7 नए जिले मणिपुर की ओकराम इबोबी सिंह सरकार ने बनाए हैं, उसे वापस लिया जाए. क्योंकि ये ‘नागा क्षेत्रों पर अतिक्रमण’ है.
आपको बता दें कि मणिपुर सितंबर में प्राकृतिक कारणों से नाकाबंदी झेल रहा था, जब बारिश के दौरान असम में एक पुल ढह गया था और दूसरे रस्ते भूस्खलन से बंद थे. ऐसे में हालिया नाकाबंदी से लोग काफी परेशानी में थे.
नागा जिलों से आ रही गाड़ियों में तोड़फोड़
बंद से ज़रूरी चीज़ों के दाम बढ़े हुए हैं और इसी के चलते लोगों ने प्रदर्शन शुरू किए, जो रविवार को हिंसक हो उठे. इंफाल के पास खुरई में नागा लोगों को ले जा रही बसों से सवारियों को उतार कर आग के हवाले कर दिया गया और नागा जिलों से आ रही गाड़ियों में भी तोड़-फोड़ और आगज़नी की गई. एक बस को नदी में भी धकेल दिया गया है.
इंफाल के पास खुरई में नागा लोगों को ले जा रही बसों से सवारियों को उतार कर आग लगा दी गई और नागा जिलों से आ रही गाड़ियों में भी तोड़-फोड़ और आगजनी हुई.
इंफाल में हिंसक होते प्रदर्शनों को देखते हुए प्रशासन ने कुछ क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबन्ध लगा दिया है. हिंसा के बाद से इंफाल घाटी से क्रिसमस के लिए अपने जिलों में लौटने वाले नागा लोगों के लिए परेशानी खड़ी हो गई है