नई दिल्ली: देश के दो जाने-माने बिजनेस घरानों बिड़ला और सहारा ग्रुप पर 2012 में मारे गए इनकम टैक्स के छापों में बरामद दस्तावेजों की जांच के मामले में जनहित याचिका दायर की गई थी.
इसी की सुनवाई के दौरान जस्टिस जे. एस. खेहर पर प्रशांत भूषण की ओर से यह सवाल उठाया गया कि ‘उनकी चीफ जस्टिस के पद पर नियुक्ति संबंधी फाइल सरकार के पास लंबित है तो ऐसे में क्या उनको इस मामले की सुनवाई करनी चाहिए?’ जस्टिस खेहर ने इसपर नाराजगी जाहिर की है.
सुप्रीम कोर्ट ने उनके इस सवाल को अनुचित करार दिया है. उन्होंने कहा कि ‘यह देश की सबसे बड़ी अदालत है’.
प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया है कि- ‘2 बिजनेस हाउस बिड़ला और सहारा ग्रुप में छापे के दौरान मिले दस्तावेजों में गुजरात के तत्कालीन सीएम मोदी को फंड दिए जाने की बात है, इसकी जांच होनी चाहिए.’ पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस खेहर ने प्रशांत भूषण की दलील पर सवाल उठाते हुआ कहा था कि- ‘पीएम के खिलाफ इस तरह के आरोपों के पुख्ता सबूत चाहिए.’
प्रशांत भूषण ने शुक्रवार को कहा कि- ‘इस मामले की सुनवाई से जस्टिस खेहर को क्या जुड़ा रहना चाहिए? क्योंकि मौजूदा चीफ जस्टिस तीरथ सिंह ठाकुर ने अगले चीफ जस्टिस के तौर पर उनके नाम की सिफारिश की है.’ इसके जवाब में जस्टिस खेहर ने कहा कि ‘आप देश की सबसे बड़ी अदालत में हैं. क्या आपको लगता है कि हम किसी दबाव में आ जाएंगे?’ इस पर प्रशांत भूषण ने कहा, ‘हमें आपकी (अदालत) निष्ठा पर कोई संदेह नहीं है, लेकिन ये मेरी ड्यूटी है कि मैं पूरे मामले से कोर्ट को अवगत कराऊं और इस मामले को छुट्टियों के बाद कोई और जज सुने.’
‘सबसे ओछा हथकंडा’
शीर्ष अदालत ने प्रशांत भूषण की ओर से देश के सर्वोच्च संवैधानिक प्राधिकारी के खिलाफ पर्याप्त सबूतों के बिना ही गंभीर आरोपों के साथ याचिका दायर करने पर सवाल उठाए. केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि ‘यह सबसे ओछा हथकंडा है. सुप्रीम कोर्ट में ऐसा कभी नहीं हुआ है. यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है.’ सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई अगले साल 11 जनवरी तक स्थगित कर दी है.