निर्भया कांड: वह रात जो कभी नहीं भुलाई जा सकती…

नई दिल्ली: आज से ठीक चार साल पहले 16 दिसंबर 2012 की रात भारत के इतिहास की काली रात बन गई. इस रात की घटना ने पूरे समाज और पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. आज के दिन निर्भया गैंगरेप रुप में पूरे देश को मिला यह घाव आज भी भर नहीं भर पाया है. इस घटना को आज चार साल पूरे हो रहे हैं.
चार साल पहले इसी तरीख को कड़कड़ाती सर्दी में दिल्ली में चलती बस में एक नाबालिग समेत पांच दरिंदो ने एक मेडिकल स्टूडेंट के साथ गैंगरेप किया था. उस स्टूडेंट का असली नाम शायद ही कोई जानता हो लेकिन किसी अखबार ने उसे नाम दिया ‘निर्भया’. निर्भया का मतलब होता है जिस डर न लगे और देश को करोड़ों लोगों की भावनाएं उसके साथ जुड़ गई.
देश की हर आम लड़की की तरह ही थी निर्भया. जिसके माता-पिता ने उसे लेकर कई सपने संजो कर रखे होंगे. लेकिन दिल्ली में चलती बस में उन 6 दरिंदो ने उन सपनों का गला घोट दिया.
क्या हुआ था उस रात…
16 दिसंबर की सर्द वाली रात 23 साल की फिजियोथेरेपी की स्टूडेंट अपने दोस्‍त के साथ फिल्‍म देख कर निकली. दोनों मुनीरका में एक प्राइवेट बस में घर जाने के लिए चढ़े. कुछ दूर जाने के बाद ड्राइवर राम सिंह और उसके पांच साथियों ने गैंग रेप किया. उसे दौरान उन दरिंदों ने उसे शारीरिक यातनाएं दी और प्राइवेट पार्ट में लोहे की रॉड डाल दी थी. उसके बाद दोनों को बुरी तरह पीटा और घायलावस्‍था में मरा हुआ समझकर निर्जन स्‍थान पर छोड़कर भाग गए. होश में आने के बाद उसके दोस्त ने किसी तरह मदद ली और अस्पताल में भर्ती कराया.
11 दिनों तक निर्भया अपनी मौत और जिंदगी के बीच झूलती रही. फिर उसे सिंगापुर रेफर कर दिया गया. सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्‍पताल में दो दिन बाद इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
6 आरोपियों में एक नाबालिक…
घटना के बाद सभी आरोपियों को पुलिस ने पकड़ लिया. जांच में पता चला कि उसमें से एक नाबालिक था. उसके बाद सभी के खिलाफ बलात्‍कार, अपहरण और हत्‍या का मामला दर्ज हुआ. नाबालिक के खिलाफ सुनवाई जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में की गई. 2013 में बस के ड्राइवर राम सिंह ने तिहाड़ में खुदखुशी कर ली. उसके खिलाफ मामला बंद कर दिया.
बाकियों के खिलाफ फास्‍ट ट्रैक में मामला चला. 13 सितंबर, 2013 को चार को फांसी की सजा सुनाई गई और नाबालिग को तीन साल की अधिकतम सजा के साथ सुधार केंद्र में भेज दिया गया. 13 मार्च, 2014 को दिल्‍ली हाई कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा. फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट में है. वहीं नाबालिक को बोर्ड ने उसे तीन साल के लिए सुधार गृह में भेज दिया था. अब वो रिहा हो चुका है. बता दें कि निर्भया केस सुप्रीम कोर्ट में है और अगली पेशी 2 जनवरी को है.
2012 के बाद भी आंकड़ो में कोई कमी नहीं…
दिल्ली में 2012 में रेप के 706 मामले दर्ज हुए जबकि 2016 में यह आंकड़ा दो हजार को पार कर गया (नवंबर तक 1981). 2015 में 2017 मामले केवल रेप के दर्ज हुए थे. जंतर मंतर पर हर साल निर्भया की बरसी मनाने वाले संगठनों, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा-अगर सिफारिशों पर अमल होता तो ऐसी वारदातों को रोका जा सकता है. सरकारी तंत्र की विफलता के कारण ही साल में कई बार कहीं न कहीं ’16 दिसंबर’ आ जाता है. छोटे गांव-कस्बों से लेकर महानगरों तक में रोज रेप के कई मामले हो रहे हैं.
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