नई दिल्लीः पदोन्नति में आरक्षण की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कई सवाल किए. शीर्ष अदालत ने कहा कि क्या मुख्य सचिव के परिवार को भी कोटा मिलना चाहिए. उच्च न्यायालय का कहना है कि क्या एेसे परिवारों को भी प्रमोशन में रिजर्वेशन मिलना चाहिए. बता दें कि इस मामले की सुनवाई कर रही पांच सदस्यीय बेंच इस बात का आकलन कर रही है कि क्या क्रीमी लेयर के सिद्धांत को एससी-एसटी के लिए लागू किया जाना चाहिए, जो फिलहाल ओबीसी श्रेणी के लोगों के लिए लागू किया जा रहा है.
गुरुवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने भी यह भी सवाल किया कि मान लिया जाए कि एक जाति पिछले 50 साल से पिछड़ी है लेकिन उसका एक वर्ग क्रीमीलेयर में आ चुका है, तो ऐसी स्थिति में क्या किया जाए. कोर्ट ने कहा कि आरक्षण उन लोगों के लिए है जो कि सामाजिक रूप से पिछड़े और असक्षम हैं. ऐसे में इस मामले पर विचार करना बेहद जरूरी है.आपको बता दें कि इससे पहले हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने कहा था कि 2006 के नागराज जजमेंट के चलते एससी-एसटी के लिए पदोन्नति में आरक्षण रुक गया है.
वहीं अ़टॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने शीर्ष अदालत में कहा कि पदोन्नति में आरक्षण गलत है या सही इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहते. उन्होंने कहा कि नागराज मामले में संवैधानिक पीठ को फैसले की समीक्षा करने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट काक कहना है कि उच्च पदों पर आसीन लोगों के परिवारों को पदोन्नति में आरक्षण क्यों दिया जाए.
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