नई दिल्ली: दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच शक्तियों को लेकर चल रही खींच तान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ‘दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास कुछ शक्तियां होनी चाहिए, नहीं तो सरकार काम नहीं कर पाएगी.’
कोर्ट ने कहा, ये बात सही है कि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है लेकिन इसके लिए विशेष प्रावधान हैं. दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच चल रहे टकराव को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तारीख पर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार से दो वकील आ जाते हैं और दोनों कहते हैं कि वो दिल्ली सरकार के लिए बहस करेंगे. वहीं दिल्ली सरकार ने दलील दी है कि राजधानी में काम करीब करीब बंद हो गया है क्योंकि कोई अफसर सरकार की बात सुनने को तैयार नहीं है. यहां तक कि सरकार चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी की नियुक्ति या ट्रांसफर तक नहीं कर पा रही है.
दिल्ली सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट फिलहाल हाईकोर्ट से आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए कुछ राहत सरकार को दे, इनमें उस आदेश पर अंतरिम रोक लगाई जाए जिसमें कहा गया है कि कोई भी निर्णय LG की मंजूरी के बिना ना हो. दिल्ली सरकार ने मांग की है कि LG फिलहाल मंत्रीमंडल की सलाह और मदद से काम करें. सरकार ने ये भी मांग की है कि करीब 400 फाइलों की जांच के लिए बनाई गई शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट पर भी रोक लगाई जाए.
बता दें कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए 31 अगस्त और दो सितंबर के बीच छह याचिकाएं दाखिल की थीं. सुप्रीम कोर्ट इस पर 18 जनवरी को सुनवाई करेगा.