नई दिल्ली: नए नोटों की मोटी-मोटी गड्डियों के साथ एक के बाद एक गिरफ्तारी के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को 8 नवंबर से 30 दिसंबर तक का
सीसीटीवी फुटेज अगले आदेश तक संभाल कर रखने का आदेश दिया है ताकि सरकारी एजेंसियां उनकी जांच कर सकें.
अगर हम ये मान लें कि देश में हर बैंक की शाखा में अगर कम से कम एक सीसीटीवी कैमरा भी है तो रिजर्व बैंक के इस आदेश के पालन करीब-करीब 4 करोड़ घंटे के फुटेज मिलेंगे. अगर कैमरा दो हुआ तो फुटेज 8 करोड़ घंटा का हो जाएगा. 3 हुआ तो 12 करोड़ घंटा.
रिजर्व बैंक ने मंगलवार को जारी आदेश में सभी बैंकों से कहा है कि वो बैंक शाखा और करेंसी चेस्ट को कवर करने वाले सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को सहेज कर रखे. देश में सरकारी औऱ प्राइवेट बैंकों की करीब सवा लाख शाखाएं हैं. इनमें करीब 1 लाख शाखाओं में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं और जहां भी लगे हैं वहां कम से कम दो-तीन कैमरे लगे हैं.
अगर हम प्रति शाखा एक सीसीटीवी कैमरा के सामान्य गणित से भी चलें तो 1 लाख बैंक शाखा में हर दिन 8 घंटे के कामकाज के हिसाब से 8 लाख घंटे का फुटेज बन रहा है. 8 नवंबर से 30 दिसंबर तक छुट्टी वगैरह को हटा देंगे तो 40 दिन के आस-पास का फुटेज सहेजना होगा. इस हिसाब से करीब 3 करोड़ 20 लाख घंटे का फुटेज जमा होगा.
अब सवाल उठता है कि सीसीटीवी फुटेज के इस अंबार को खंगालेगा कौन. अगर सरकारी एजेंसियां रैंडम चेक करें तो भी कम से कम 1 परसेंट फुटेज देखना होगा. 1 परसेंट फुटेज भी 4 लाख घंटा का होगा. आधा परसेंट भी देखेंगे तो 2 लाख घंटे का फुटेज देखना पड़ेगा.
आरबीआई के सर्कुलर से साफ है कि इसका सीधा मकसद बैंकों से लिमिट से ज्यादा नए नोट निकालने वालों की शिनाख्त करना है और ये भी कि उनको लिमिट से ज्यादा नोट देने वाले बैंक अधिकारी कौन थे. जिन बैंक वालों का गला फंसने वाला होगा क्या वो सीसीटीवी फुटेज संभालकर रखेंगे या किसी तकनीकी खामी की आड़ में उसे बर्बाद कर देंगे.
इसलिए सीसीटीवी फुटेज को खंगालकर काला धन के खिलाड़ियों तक पहुंचने की संभावना कम है. संभावित तरीका ये हो सकता है कि जिन लोगों के पास बेशुमार नए नोट पकड़े जा रहे हैं उनसे पूछताछ में जिस बैंक की शाखा का नाम आए, जांच एजेंसी उस शाखा के सीसीटीवी फुटेज को देखें और उसे कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश करें.
उस शाखा के बैंक अधिकारी भी इस सबूत के आधार पर आसानी से लपेटे में आ जाएंगे क्योंकि उनकी मिलीभगत के बगैर कैश निकालने की मौजूदा लिमिट की वजह से किसी के पास नए नोट में तो कम से कम लाखों और करोड़ों का कैश नहीं हो सकता.