नई दिल्ली: नोटबंदी के 35वें दिन और लगातार बैंकों की 3 दिन छुट्टी के बाद मंगलवार को बैंक खुले. इतने दिनों बाद भी लोगों को पैसे की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. हालत ये है कि लोगों का अधिकतर समय अब एटीएम या बैंकों के बाहर लाइनों के बाहर खड़े होकर बीत रहा. लोग अब परेशान हो गए हैं और बैंकों के बाहर की कतारें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही.
आलम ये है की घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए लोगों को दूसरों से उधार सामान लेना पड़ रहा है. लोगों का कहना है की उनकी सैलरी समय से बैंक में आ जाने के बाद भी उनके हाथ खाली हैं. आलम ये है की लोग नौकरी से छुट्टी लेकर बैंक के बाहर पैसे निकालने को मजबूर हैं. चाहे वो आधी रात हो या तड़के सुबह एटीएम के बाहर लोगों की कतारें देखने को मिल रही हैं. लोग बैंकों के बाहर भी सुबह से ही लाइन लगाकर खडे़ हो रहे हैं.
ऐसे में सरकार को हमारे इन सवालों का जवाब तो देना ही होगा कि तीन दिन की छुट्टी में छपे नोट बैंकों/एटीएम में पहुंचे तो लोग क्यों खाली हाथ? बैंकों की तीन दिन की छुट्टी में छपे नोट कहां गए? भ्रष्ट सिस्टम से निपटने के लिए सरकार ने पहले से तैयारी क्यों नहीं की? आम आदमी खामियाज़ा क्यों भुगते ? यही हाल रहा तो 50 दिन बाद परेशानी कम हो जाने की गारंटी कौन लेगा?