नई दिल्ली. 13 दिसंबर 2001 को विपक्ष के हंगामे के बाद दोनों सदनों की कार्यवाही को स्थगित कर दी गई थी. सभी मंत्री अभी संसद में ही मौजूद थे, इसी दौरान कुछ आतंकी संसद पर हमला कर देते हैं. इस हमले में संसद के एक कर्मचारी समेत आठ सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे. हम आपको यह इसलिए बता रहे हैं क्योंकि आज इस घटना को पूरे 15 साल पूरे हो गए हैं.
जी हां, आज ही के दिन संसद पर 5 आतंकियों ने हमला किया था. 13 दिसंबर 2001 को सुबह 11 बजकर 28 मिनट पर विपक्ष के हंगामे के बाद दोनों सदनों की कार्यवाही को स्थगित कर दी गई थी. जिसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और विपक्ष की नेता सोनिया गांधी लोकसभा से निकल चुके थे, लेकिन अभी भी संसद में तत्कालीन गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी सहित कई सांसद मौजूद थे. साथ ही हमेशा की तरह मीडिया का जमावड़ा लगा हुआ था.
इसके बाद गृह मंत्रालय और संसद की पार्किंग का स्टीकर लगाए कार में बैठकर ये आतंकी संसद परिसर में घुस जाते हैं. इसी दौरान उनकी कार तत्कालीन उपराष्ट्रपति कृष्णकांत के मोटर काफिले से टकरा गई. जिसके बाद वहां तैनात सुरक्षा कर्मियों का ध्यान उनके तरह जाता है. तभी यह आतंकी फायरिंग और धमाके करने शुरू कर देते हैं. वहीं जवाबी कार्यवाई करते हुए उपराष्ट्रपति के सुरक्षा गार्डों और संसद भवन के सुरक्षाकर्मियों ने भी जवाब में गोलियां चलाईं.
इ्स दौरान सभी लोगों को संसद भवन के अंदर करते हुए दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं. साथ ही सभी मीडिया कर्मी भी अपनी जान बचाते हुए छिप जाते हैं, लेकिन उनके कैमरे चालू रहते हैं. बता दें कि आतंकवादियों को सबसे पहले देखने वाली कांस्टेबल कमलेश कुमारी शोर मचाकर लोगों को जब सचेत करने लगी तो हमलावरों ने उसे गोली मार दी.
ये सभी आतंकी जैश-ए-मोहम्मद के थे. इन आतंकियों का सामना करते हुए दिल्ली पुलिस के पांच जवान, सीआरपीएफ की एक महिला कांस्टेबल और संसद के दो गार्ड शहीद हुए और 16 जवान इस मुठभेड़ में घायल हुए थे. लेकिन हमारे जवानों ने सभी जवाबी कार्रवाई करते हुए सभी आतंकियों को ढ़ेर कर दिया. इश हमले में किसी भी नेता या सांसद को एक खरोच तक नहीं आई थी. जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने इस हमले के मास्टर माइंड अफजल गुरु को गिरफ्तार कर लिया था. अफजल गुरु को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 9 फ़रवरी, 2013 को अफजल गुरु को नई दिल्ली को तिहाड़ जेल में सुबह 8 बजे फांसी दी गई.