नई दिल्ली : तीन दिनों से बैंकों में छुट्टी है. ज्यादातर एटीएम का कैश खत्म हो चुका है और जहां कैश है, वहां लंबी लाइन लगी हुई है. लेकिन, बैंकों और एटीएम में कैश की किल्लत से काला धन रखने वालों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा है. कालेधन के कुबेरों की तिजोरी में करोड़ों के नए नोट मिल रहे हैं.
नोटबंदी का बुनियादी मकसद था कि इससे काले धन और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा. लेकिन, अब लग रहा है कि नोटबंदी के इस मकसद को काला धन रखने वालों और बैंकों ने पलीता लगा दिया है. तिजोरियों में कालाधन अब नए नोटों की शक्ल में मिल रहा है.
दिल्ली में वकील रोहित टंडन के घर से ढाई करोड़ से ज्यादा कैश सिर्फ 2 हजार नोटों की शक्ल में मिला है. जयपुर में इनकम टैक्स ने आज ही इंटीग्रल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक पर छापा मारा तो 1 करोड़ 38 लाख के नए नोट बरामद हुए हैं.
तो, क्या नोटबंदी के बाद बैंकिंग सिस्टम का भ्रष्टाचार बेनकाब हो गया है? क्या कैश की किल्लत और कालाधन के लिए बैंक ही जिम्मेदार हैं? क्या ये बैंकों की मिलीभगत के बिना मुमकिन है? इन सवालों के जवाब पाने के लिए देखिए इंडिया न्यूज का खास शो ‘बड़ी बहस’.
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