नई दिल्ली: नोटबंदी के 33 दिन बीत चुके हैं, इन 33 दिनों में दो ही तस्वीर छाई हुई है. बैंकों के बाहर लोगों की लंबी कतारें और कालेधन के कुबेरों के घर या दफ्तर से मिलती नोटों की गड्डियां.
नोटों से भरी अलमारियां आपको यानि इस देश के आम आदमी की ज़िन्दगी को दीमक की तरह खाती जाती है. यहां आम आदमी के पास खाने तक को कैश नहीं और दूसरी तरफ लगातार करोड़ों के नए नोट और पुराने नोटों का जखीरा सामने आ रहा है.
जवाब तो देना होगा में आज मुद्दा कालेधन को खपाने वाले नेक्सस का. जवाब तो देना होगा कि करोड़ों से भरी और कितनी अलमारियां?
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