नई दिल्ली: अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर डील मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने पूर्व एयर चीफ मार्शल एसपी त्यागी समेत तीन लोग को 14 दिसंबर तक सीबीआई की रिमांड पर भेज दिया है. त्यागी ने आरोप लगाए हैं कि यूपीए शासन काल में हुई इस डील को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के ऑफिस भी शामिल था. त्यागी के इन आरोपों के बाद कांग्रेस के लिए नई मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.
त्यागी ने कोर्ट में कहा कि पीएम ऑफिस ने हम लोगों को सुझाव दिया थी कि वीवीआईपी चॉपर डील के लिए ऊंचाई में थोड़े बहुत बदलाव किए जाएं क्योंकि अगस्ता वेस्टलैंड इससे जुड़े मापदंडों को पूरा नहीं कर पा रही थी लेकिन इस तरह बदलाव करने से डील हासिल करना आसान हो गया.
डिफेंस काउंसिल ने ये भी कहा कि वीवीआईपी लोगों के लिए हैलिकॉप्टर खरीदे जाने थे और पीएमओ के सुझाव पर ही चॉपर की क्षमता 6000 मीटर तक लाने की बात कही गई थी. उन्होंने ये भी कहा कि ये हैलिकॉप्टर आपसी सहमति से लिए गए थे. उन्होंने पूछा कि कितनी बार वीवीआईपी सियाचिन गए हैं? आइए आपको बताते हैं कि अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला आखिर है क्या?
वाजपेयी सरकार के समय शुरू हुई थी प्रक्रिया
मामला साल 1999 का है जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार सत्ता में थी. उस समय वीवीआईपी लोगों के आने-जाने के लिए इंडियन एयरफोर्स के MI-8 हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल होता था लेकिन ये हेलिकॉप्टर पुराने हो गए थे. वाजपेयी सरकार ने इन्हें बदलने का फैसला किया और नए हैलिकॉप्टर खरीदने की प्रक्रिया शुरू की. इसके बाद मार्च 2002 में हेलिकॉप्टर खरीदने के लिए सरकार ने टेंडर डाला और दुनियाभर की कई कंपनियों ने टेंडर भरा लेकिन ये प्रपोजल कुछ सालों के लिए ठंडे बस्ते में चला गया.
डील के एक क्लॉज की वजह से नप गए भ्रष्टाचारी
2004 में वाजपेयी सरकार के जाने के बाद 2005 में मनमोहन सिंह सरकार में हेलिकॉप्टर खरीदीने की प्रक्रिया फिर से शुरू हुई लेकिन इसे साल 2010 में जाके मंजूरी मिली. यूपीए कैबिनेट कमेटी 12 हेलिकॉप्टर्स लेने के लिए प्रपोजल को पास करती है. करीब 3600 करोड़ रुपये का ये पूरा सौदा होना था.
इसी साल यूपीए सरकार इंटीग्रेटी क्लॉज लागू करती है जिसके मुताबिक, हर रक्षा सौदे से पहले क्लॉज पर साइन किया जाना जरूरी किया गया कि अगर डील के दौरान अगर किसी मिडिलमैन का इस्तेमाल हुआ तो डील रद्द कर दी जाएगी. प्रपोजल पास होने के बाद डिफेंस मिनिस्ट्री इटली की हेलिकॉप्टर कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से सौदा तय करती है. अगस्टा वेस्टलैंड ने ये कॉन्ट्रेक्ट अमेरिकी कंपनी सिकोर्सिकी एयरक्राफ्ट समेत कई कंपनियों को पछाड़ कर हासिल किया.
375 करोड़ की रिश्वत देने का आरोप
इसके बाद परत दर परत पूरा मामले खुलकर सामने आने लगता है. फरवरी 2013 में अगस्टा वेस्टलैंड की पैरेंट कंपनी फिनमकेनिका के सीईओ ब्रूनो स्पैगनोलिनी को इटली की पुलिस गिरफ्तार कर लेती है. कंपनी के भारत के साथ हुए सौदे को होल्ड पर डाल दिया जाता है. कंपनी पर आरोप लगता है कि कॉन्ट्रेक्ट हासिल करने के लिए करीब 375 करोड़ रुपये रिश्वत में दिए गए. यानी इसे समझें तो ये माना जा सकता है कि 12 हेलिकॉप्टर्स में से एक हेलिकॉप्टर रिश्वत में दे दिया गया.