नई दिल्ली: सिनेमा हॉल में फिल्म से पहले राष्ट्रगान बजाये जाने के अपने फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है. यह स्पष्टीकरण दिव्यांगों को लेकर आया है.
जस्टिस दीपक मिश्रा ने शुक्रवार को इस संबंध में आर्डर जारी किया. जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान के दौरान दिव्यांगों को खड़े होने की जरुरत नहीं है. बता दें कि श्याम नारायण चौकसी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की थी कि सिनेमा हॉल में प्रत्येक फिल्म के प्रदर्शन से पहले हर बार राष्ट्र गान बजाया जाए.
इस याचिका में कहा गया था कि राष्ट्रगान भारत की आजादी का अभिन्न अंग है. इससे जनमानस की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. सिनेमा हॉल में फिल्म के प्रदर्शन से पहले, मनोरंजन के कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रगान बजाया जाए.
याचिका में यह भी मांग की गई है कि राष्ट्र गान को बजाने और गाने को लेकर दिशा निर्देश बनाये जाये. श्याम नारायण चौकसी की याचिका पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. बता दें कि राष्ट्रगान का माममला इसी साल की शुरुआत में सामने आया है.
यह मामला तब सामने आया जब मुंबई के कुर्ला स्थित सिनेमा घर में राष्ट्रगान के लिए न खड़े होने पर एक मुस्लिम परिवार को सिनेमा घर से बाहर कर दिया गया था, इससे पहले उनकी पिटाई भी की गई थी. हालांकि, परिवार ने यह कहते हुए माफी भी मांगी थी कि उनसे गलती हुई है.
राष्ट्रगान पर क्या कहता है कानून?
राष्ट्रगान बजने पर देश के नागरिकों से अपेक्षा की जाती है कि वो सावधान होकर खड़े रहें. प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नेशनल ऑनर एक्ट 1971 के सेक्शन तीन के अनुसार ‘जान-बूझ कर जो कोई भी किसी को भारत का राष्ट्रगान गाने से रोकने की कोशिश करेगा या इसे गा रहे किसी समूह को किसी भी तरह से बाधा पहुंचाएगा, उसे तीन साल तक कैद या जुर्माना भरना पड़ सकता है.’
इस एक्ट में राष्ट्रगान गाने या बजाने के दौरान बैठे रहने या खड़े होने के बारे में कुछ नहीं कहा गया है. सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले पर कह चुका है कि ऐसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं है
याचिका में कहा गया था कि राष्ट्रगान भारत की आजादी का अभिन्न अंग है. इससे जनमानस की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. सिनेमा हॉल में फिल्म के प्रदर्शन से पहले, मनोरंजन के कार्यक्रम के दौरान.