नई दिल्ली : कालेधन और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से लिए गए नोटबंदी के फैसले के बाद से जनता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
विपक्ष लगातार संसद में नोटबंदी के मुद्दे पर हंगामा कर रहा है तो वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार से इस मामले में कड़े सवाल करते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 दिसंबर की तारीख निर्धारित कर दी है.
नोटबंदी पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से नोटबंदी का फैसला लागू करने के लक्ष्य के बारे में पूछा. कोर्ट ने केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल (AG) मुकुल रोहतगी से सवाल किया था कि नोटबंदी का लक्ष्य क्या था, जिस पर रोहतगी ने कहा कि काले धन और जाली नोटों को हटाना इस फैसले का मुख्य लक्ष्य था.
CJI बोले, पहले तो डिजिटल बनाना लक्ष्य नहीं था
रोहतगी ने आज सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ऐसा नहीं है सरकार कुछ नहीं कर रही है वो हर रोज अधिसूचना ला रही है. कल ही सरकार ने डिजिटल और कैश लेश ट्रांजेक्शन के लिए कुछ राहत दी है, जिसपर चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि पहले तो नोटबंदी का ये लक्ष्य नहीं था कि देश को डिजिटल बनाया जाये.
कोर्ट ने केंद्र से पूछे तीखे सवाल
कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि नोटबंदी पर नीति कब बनी थी और क्या यह गुप्त था ? शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने नोटबंदी के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से तीखे सवाल किए.
सुप्रीम कोर्ट ने दो सवालों पर केंद्र से जवाब मांगा है.
पहला क्या कोर्ट बैंक से पैसा निकालने की कोई न्यूनतम सीमा तय करे जो पूरे देश में लागू हो, ऐसे में ऐसी लिमिट तय की जाए जिसे बैंक इंकार ना कर सकें. दूसरा जिला सहकारी बैंकों को पैसे जमा करने और निकासी का अधिकार मिले ?
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बुधवार को वो सवाल तय करेंगे जिसपर जनवरी के आखिरी हफ्ते में बहस होगी. आज जो सवाल याचिकाकर्ताओं और केंद्र सरकार की तरफ से रखे गए हैं उनमें सवाल की गई.